जुबिली न्यूज डेस्क
नया साल आने वाला है और साल को सेलिब्रेट करने के लिए हर कोई कही ना कही जानें के का प्लान बनाता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश का गोरखपुर शहर अन्य शहरों के मुकाबले छोटा है लेकिन यहां घूमने और समय बिताने के लिए कई ऐसे स्थान हैं, जहां आप बिना घड़ी देखे घंटों बिता सकते हैं। ऐसे में अगर आप गोरखपुर में हैं तो इन खास पांच स्थानों पर अपना नया साल मना सकते हैं। ते आइए जानें इन जगहो की खासियत…
गोरखनाथ मंदिर
बता दे कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से गोरखनाथ मंदिर पर्यटन का प्रमुख केंद्र है। भीम सरोवर के साथ लाइट एंड साउंड शो आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। यूपी, बिहार, उत्तराखंड सहित कई राज्यों के लोग गोरखनाथ मंदिर आते हैं। नेपाल में भी गुरु गोरखनाथ पूजे जाते हैं। नेपाल के राजा की खिचड़ी अब भी चढ़ती है। मकर संक्रांति पर पांच-छह लाख श्रद्धालु पूजा-पाठ करते हैं।
रामगढ़ताल
शहर के दक्षिण-पूर्वी छोर पर 1700 एकड़ क्षेत्र में फैला रामगढ़ताल प्रकृति की अनुपम भेंट है। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में गोरखपुर का नाम रामग्राम था। यहां कोलीय गणराज्य स्थापित था। उन दिनों राप्ती नदी आज के रामगढ़ताल से ही होकर गुजरती थी। बाद में राप्ती नदी की दिशा बदली तो उसके अवशेष से रामगढ़ताल अस्तित्व में आ गया। रामगढ़ ताल पूर्वांचल का मरीन ड्राइव बन चुका है। इसे देखने के लिए दूर-दराज से पर्यटक आते हैं। लाइट एंड साउंड शो के साथ शाम ढलते ही ताल का नजारा अद्भुत होता है। नौकायन व वाटर स्पोर्ट्स ने इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा दिया है।
गीता प्रेस
हिंदू धार्मिक ग्रंथों और पुस्तकों को प्रकाशित करने का दुनिया का प्रमुख केंद्र है गीता प्रेस। 1923 में जया दयाल गोयंदका और घनश्याम दास जालान ने गीता प्रेस की नींव रखी थी। पवित्र गीता और इसकी व्याख्याओं, पवित्र महाकाव्य रामायण, महाभारत, पुराण, उपनिषद, विभिन्न संतों और गुरुओं की रचनाओं को प्रकाशित किया। इन सभी का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। कल्याण व कल्पतरू जैसी मासिक पत्रिकाएं भी प्रकाशित की जा रही हैं। पर्यटक हिंदू धर्म की सभी धार्मिक पुस्तकें, ग्रंथ आदि देख सकते हैं और खरीद भी सकते हैं।
कुसम्ही वन
कुसम्ही घना जंगल है। यह गोरखपुर रेलवे स्टेशन से नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। घने जंगल के बीच प्रसिद्ध बुढ़िया माई मंदिर है। इस मंदिर की ख्याति दूर दराज तक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अक्सर मंदिर में पूजा-पाठ करने जाते हैं। प्राकृतिक, धार्मिक लिहाज से महत्वपूर्ण स्थल पर बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। जंगल के भीतर ही आकर्षण विनोद वन पार्क और एक छोटा चिड़ियाघर भी है। वन विभाग पर्यटक सुविधाओं की देखभाल करता है।
राजकीय बौद्ध संग्रहालय
रामगढ़ ताल क्षेत्र में स्थित राजकीय बौद्ध संग्रहालय पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र है। इस संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1987 में विविध तत्वों के संरक्षण के लिए की गई थी। संग्रहालय इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें पाषाण काल से लेकर मध्य काल तक की पुरातात्विक वस्तुएं हैं। इनमें पत्थर की वस्तुओं, कांस्य की मूर्तियां, धातु की वस्तुएं, टेराकोटा, मिट्टी के बर्तन, पांडुलिपियां, हाथी दांत, लघु चित्र, पंचमार्क सिक्के, धन्यवाद और कई अन्य चीजें प्रदर्शित हैं। बता दे कि इन पाच जगहो पर आप अपना नया साल मना सकते है।
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