ओम प्रकाश सिंह
पार्षदी में निर्दलियों का बल बने राम, सपा ने अपनी पूंजी लुटाई…
अयोध्या। अयोध्या नगर निगम के निर्वाचित मेयर गिरीश पति त्रिपाठी ने योगी बल से अपने ‘गिरीश’ नाम को सार्थक कर दिया। एकतरफा मुकाबले में उन्होंने सपा प्रत्याशी को 35625 मतों से हराया। पार्षदी में निर्दलियों के बल स्वंय राम बन गए। गिरीश की साठ सदस्यीय कैबिनेट में दस निर्दल जीते हैं।
माना जा रहा था कि महापौर के लिए मुकाबला कांटे का होगा। सपा भाजपा दोनों दलों के सूरमा भी जीत को लेकर आशंकित थे।अंदरखाने भीतरघात भी हुआ लेकिन प्रभु श्रीराम की कृपा व योगी बल से जनता ने अयोध्या रामलला की है पर मुहर लगा दिया। समाजवादी पार्टी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। अयोध्या नगरनिगम में इस बार कुल 195139 वोट पड़े जिसमें भाजपा प्रत्याशी को 77456 और सपा प्रत्याशी को 41831 मत प्राप्त हुए हैं। पिछले चुनाव में 99448 वोट पड़े थे जिसमें भाजपा को 44662 व सपा को 41041 वोट मिले थे।
महापौर टिकट बंटवारे को लेकर जो नौटंकी अखिलेश के दरबार में हुई उसका खामियाजा भुगतना पड़ा। पिछले चुनाव के मुकाबले तुलना करें तो सपा ने अपनी जमापूंजी खो दिया है। पूर्व विधायक जयशंकर पांडेय अपने पुत्र को टिकट दिलाने में तो कामयाब रहे लेकिन संगठन पर पकड़ नहीं बना सके। पूर्व विधायक पवन पांडेय पर आरोप लगता रहा कि वे अंदरखाने विरोध में हैं। यही हाल भाजपा में भी रहा। भाजपा का मेयर भले ही जीत गया लेकिन माना जा रहा है कि सपा भाजपा की किचकिच से आजिज़ जनता ने योगी के गिरीश को जिता दिया।
महात्मा गांधी ने राम की महिमा पर कहा था कि निर्बल के बल-राम हैं। निर्दलीय भी राजनीतिक रुप से निर्बल ही माने जाते हैं क्योंकि इनके ऊपर ना तो सत्ता का हाथ होता है और ना ही राजनीतिक दलों का। अयोध्या नगरनिगम में निर्दलियों पर प्रभु श्रीराम की कृपा खूब बरसी। स्वदेश ने अपनी खबर में लिखा भी था कि अयोध्या नगर निगम से लेकर विभिन्न नगर पंचायतों और नगर पालिका के इस चुनाव में बागी और निर्दलीय प्रत्याशी बड़ा करिश्मा करने जा रहे हैं। खास कर ऐसा वार्डों में हो रहा था। यह स्थिति मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा और सपा दोनों दलों में है। टिकट के दावेदारों और कार्यकतार्ओं ने अपने-अपने दल में संगठन और नेतृत्व के खिलाफ इस चुनाव में खुलकर आस्तीनें चढ़ाई और ताल ठोकी थी।
नगरनिगम के इस चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। अयोध्या की नस नस से वाकिफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास के मद्देनजर हो रही तोड़फोड़ से सरकार के खिलाफ उपजे गुस्से को भांप लिया था । खुद मुख्यमंत्री ने दो बार चुनावी दौरा कर स्थिति को संभाला और रामनगरी के इनकार को इकरार में बदलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1..
मुस्लिमों की नाराजगी भी सपा पर भारी पड़ी। मुस्लिम नेता ओबैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को अयोध्या में ग्यारह हजार वोट मिले हैं। यह स्थिति तब है जब आम जनमानस में इसके प्रत्याशी की कोई चर्चा ही नहीं थी। माना जा रहा है कि अतीक प्रकरण से मुसलमान सपा से नाराज है। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्ष के लिए यह खतरनाक संकेत है।
2…
मेयर बन ‘बबुआ’ का सपना साकार किया योगी के गिरीश ने..
नगर निगम के निर्वाचित महापौर गिरीश पति त्रिपाठी के पिता शिवानंद पति त्रिपाठी भी अयोध्या नगरपालिका चेयरमैन का चुनाव कांग्रेस पार्टी से लड़े थे लेकिन मामूली वोटों से भाजपा से हार गए थे। शिवानंद पति त्रिपाठी को पूरी अयोध्या बबुआ जी के नाम से जानती थी। अब भाजपा से ही मेयर बनकर गिरीश ने अपने ‘बबुआ’ का सपना साकार कर दिया।
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3. .
मेयर भाजपा का लेकिन बोर्ड में विपक्ष का जलवा..
अयोध्या नगरनिगम के बोर्ड में मुखिया तो भाजपा का होगा लेकिन कार्यकारिणी में विपक्ष का जलवा रहेगा। साठ सदस्यीय बोर्ड में भाजपा के सिर्फ 27 पार्षद ही चुनाव जीते हैं। सपा के 17, निर्दल 10, बसपा के 3, रालोद का एक, पीस पार्टी का एक व आप पार्टी का भी एक सदस्य पार्षद निर्वाचित हुआ है।