जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रयागराज में मल्टी स्टोरी पार्किंग और वकीलों के चेंबर के लिए 530.7 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। मंगलवार को कैबिनेट ने भी सरकार के इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में राज्य सरकार के छह प्रमुख प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और श्रीकांत शर्मा ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रयागराज में मल्टी लेवल पार्किंग और वकीलों के चेंबर के लिए कैबिनेट ने फैसला लिया है।
इसके निर्माण के लिए 530.7 करोड़ का खर्च प्रस्तावित है। हाईकोर्ट परिसर में ही कांफ्रेंस हाल और वीआईपी सुईट बनना है। कैबिनेट की बैठक में इसके लिए भी 4399.88 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं।
वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिये राज्य सरकार बैंकों से लोन ले रही है। कैबिनेट में इससे संबंधित दस्तावेजों को मंजूर किया। उन्होंने बताया कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिये 12 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है। पंजाब नेशनल बैंक ने 7800 करोड़ का क्लोजर किया।
बैंक ऑफ बड़ौदा और विजया बैंक ने 1000- 1000 करोड़ दिया था। इन दोनों बैंकों का अब उनका विलय हो गया, इसलिए दो हजार करोड़ के लोन की नए सिरे से डॉक्यूमेंट की प्रक्रिया को अनुमोदन दिया गया। 1000 करोड़ की यह धनराशि कारपोरेशन बैंक से मिला है। इससे संबंधित दस्तावेज को कैबिनेट ने आज मंजूरी दी।
अब सीधे खाते में जायेगा मुख्यमंत्री आवास योजना का पैसा
प्रवक्ता के अनुसार मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण की धनराशि पीएफएमएस लिक्विड स्टेट नोडल अकाउंट में सीधे अब लाभार्थी के खाते में हस्तांतरित होगी। कैबिनेट ने सरकार के इस प्रस्ताव को भी आज मंजूरी दे दी। श्रीकांत शर्मा ने बताया कि इस योजना के कार्यान्वयन में बड़ा विलंम्ब हो रहा था। सरकार ने लोगों की कठिनाई का संज्ञान लेते हुए इसे सुगम बनाने के लिए ऐसा निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि इससे लाभार्थी भ्रष्टाचार से बच सकेंगे और देरी भी नहीं होगी।
सुलह के मामले अब जनपद अदालतों में सुने जाएंगे
प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि कैबिनेट ने सिविल प्रक्रिया संहिता व सुलह एक्ट में बदलाव को मंजूरी दी है। अब सुलह और मध्यस्थता के मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट की जगह जनपद अदालतों में भी होगी। जिला न्यायाधीश और अपर जिला न्यायाधीश अब इसकी सुनवाई करेंगे।
उन्होंने बताया कि इन मामलों में जमानत राशि भी क्रमशः 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार और 5 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई है। उन्होंने बताया कि इस बदलाव से विवादों का अब जल्द निपटारा होगा।
अब प्राइवेट प्रेस को भी मिलेगा प्रिंटिंग का काम
कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया राज्य सरकार ने छपाई का कार्य अब प्राइवेट प्रिंटिंग प्रेस से भी कराने का निर्णय लिया है। कैबिनेट से आज इसकी मंजूरी भी मिल गई। उन्होंने बताया कि वर्ष 1988 में एक शासनादेश के तहत सरकार बाहर से छपाई का काम करवाती थी, लेकिन 2002 में इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया।
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब सरकारी प्रेस के अलावा प्रिंटिंग का काम बाहर से भी कराया जाएगा। इसके लिए ई-टेंडरिंग कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि प्राइवेट प्रेस 50 लाख, 1 करोड़ और 2 करोड़ टर्नओवर वाली तीन श्रेणी की फर्म होगी।
साथ ही ईएसआई, जीएसटी और ईपीएफ में उनका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। उन्होंने यह भी कहा कि नई व्यवस्था के तहत सरकारी प्रेस बंद नहीं किए जाएंगे, बल्कि मूल्य और गुणवत्ता के आधार पर उन्हें वरीयता दी जाएगी।