न्यूज डेस्क
लखनऊ। पशुओं की सेवा के लिए चर्चा में रहने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणाओं को पशुपालन विभाग कितनी गंभीरता से लेता है इसका ताजा उदाहरण खुद योगी के गृह जनपद में देखने को मिल रहा है।
बीते दिनों पशुपालन विभाग ने गोरखपुर में एक पशु चिकित्सा महाविद्यालय का निर्माण कराने की घोषणा की थी। पहले यह महाविद्यालय आजमगढ़ में बनाना था मगर मुख्यमंत्री की पहल पर इसे गोरखपुर में खोलना तय किया गया।
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इस महाविद्यालय के लिए नोडल मठौरा के वेटेनरी कालेज को बनाया गया। जोर- शोर से इसकी घोषणा हुई और जिला प्रशासन ने इसके लिए जमीन भी मुहैया करा दी।
लेकिन इसके बाद से ही यह पशु चिकित्सा महाविद्यालय महज जुबानी जुमला बनकर रह गयी है। क्योंकि अब तक इस ओर चंद कदम ही सरकार आगे बढ़ पायी है। मिली जानकारी के मुताबिक इस महाविद्यालय के लिए अब तक कोई बजट ही नहीं आवंटित किया गया है।
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पशुपालन विभाग के निदेशक डा. यू.पी सिंह बजट आवंटन और उपलब्धता के प्रश्न पर साफ बात नहीं कर सके। जुबिली पोस्ट ने जब उनसे इस बावत पूछा तो उनका कहना था कि इस मामले में अब तक शासन ने बजट नहीं दिया है, इसलिए कार्य शुरू नहीं किया जा सका है। हालांकि उन्होंने ये भी दावा किया है कि वो इस मामले को लेकर शासन में वार्ता करेंगे।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इच्छा थी कि वे पूर्वांचल की जमीन पर एक ऐसा चिकित्सा महाविद्यालय का निर्माण करवाये जिसमें पशुओं के रोगों का आसानी से समाधान हो सके, योगी ने इसकी घोषणा भी की थी, लेकिन शासन और पशुपालन विभाग की अनदेखी के चलते ये प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में जाता हुआ दिखाई दे रहा है।
सूत्र बताते है कि जमीन का आवंटन किया जा चुका है लेकिन विभाग अभी तक टोकन मनी के इंतजार में आंस लगाये बैठे है। यदि निदेशक ने बीते साल में शासन ने इस बारे में सक्रियता दिखाई होती तो अब तक पशुओं की चिकित्सा का कार्य भी शुरू हो गया होता।
इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि सीएम की घोषणा के बाद पशुपालन विभाग के आधिकारियों ने इस कार्य की फाइल समय से आगे नहीं बढ़ाई जिसका खामियाजा पशुपालकों को भुगतना पड़ रहा है।
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