Friday - 25 October 2024 - 6:57 PM

तीन लाख घरों में नौकरी की रौशनी बिखेरने वाली है योगी सरकार

प्रमुख संवाददाता

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों में खाली पड़े करीब तीन लाख पदों पर योगी आदित्यनाथ ने अगले साल मार्च तक नियुक्तियां करने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक में कहा कि विभागों, भर्ती बोर्डों और चयन आयोगों से कहा है कि सरकार ने जिस तरह से अब तक तीन लाख नियुक्तियां पारदर्शी तरीके से की हैं उसी तरह से आगे भी भर्तियाँ की जाएँ.

उत्तर प्रदेश के 84 विभागों में करीब तीन लाख पद खाली पड़े हैं. मुख्यमंत्री ने सभी अपर मुख्य सचिवों और प्रमुख सचिवों से खाली पदों का ब्यौरा देने को कहा है. यह ब्यौरा लोकभवन में होने वाली आगामी बैठक में लोक सेवा आयोग, अधीनस्थ चयन सेवा आयोग, पुलिस भर्ती बोर्ड व अन्य चयन भर्ती बोर्ड के अध्यक्षों की बैठक में रखा जायेगा.

उत्तर प्रदेश में खाली पदों की बात करें तो चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग में समूह ख, ग और घ के 8556 पद खाली हैं. चिकित्सा शिक्षा विभाग में 1112, माध्यमिक शिक्षा विभाग में 14 हज़ार, उच्च शिक्षा विभाग में 4615, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 28 हज़ार 622, पॉवर कारपोरेशन में 6446, प्राविधिक व व्यासायिक शिक्षा में 365, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में 16708, बेसिक शिक्षा विभाग में 54 हज़ार 706, पुलिस विभाग में एक लाख 37 हज़ार 253, लोक सेवा आयोग में 26 हज़ार 103, सहकारिता विभाग में 726, वित्त विभाग में 614 और नगर विकास विभाग में 700 पद खाली हैं.

जानकारी के अनुसार पुलिस विभाग, बेसिक शिक्षा और पॉवर कारपोरेशन में भर्ती की प्रक्रिया चल रही है. पुलिस विभाग में 16 हज़ार 629, पॉवर कारपोरेशन में 853 और बेसिक शिक्षा विभाग में 69 हज़ार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है.

दिसम्बर 2019 में 69 हज़ार शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई थी. लिखित परीक्षा हो चुकी है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रों के 37 हज़ार 339 पद होल्ड करने को कहा है. यूपी सरकार ने इस सम्बन्ध में पुनर्विचार याचिका डाली है.

योगी आदित्यनाथ की सरकार एक तरफ नौकरियां देने की बात कर रही है तो दूसरी तरफ समूह ख, ग और घ की नौकरियों को पांच साल की संविदा में बदलने के फैसले को लेकर विपक्ष के निशाने पर भी है. सरकार का कहना है कि हर कर्मचारी को पांच साल तक संविदा कर्मचारी की तरह से काम करना होगा. उसकी हर छठे महीने विशेष रिपोर्ट लिखी जायेगी. इस रिपोर्ट में एक तालिका होगी जिसमें विभिन्न मुद्दों पर विभागाध्यक्ष संविदाकर्मी को नम्बर देगा. पांच साल के बाद जो संविदाकर्मी 60 फीसदी से कम नम्बर हासिल करेगा वह आगे सरकारी नौकरी नहीं कर पायेगा और उसकी नौकरी खत्म हो जायेगी. जिसके 60 या उससे ज्यादा नम्बर होंगे उसकी स्थायी नियुक्ति हो जायेगी.

संविदा पर काम करने के दौरान सरकारी नौकरी के दौरान मिलने वाली सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी. पांच साल बाद जो कर्मचारी छंटनी से बच जाएगा उसी को सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र मिल पायेगा. इस सम्बन्ध में सभी विभागों में विचार विमर्श चल रहा है. सभी जगह से सहमती मिलने के बाद प्रस्ताव राज्य की कैबिनेट के सामने लाया जाएगा. सरकार का मानना है कि यह प्रक्रिया अपनाने से सरकारी विभागों को दक्ष कर्मचारी प्राप्त होंगे. पांच साल की संविदा के दौरान वह कर्तव्य परायणता में भी दक्ष हो जायेंगे.

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बीजेपी प्रवक्ता अश्वनी शाही से इस सम्बन्ध में बात हुई तो उन्होंने कहा कि संविदा में नौकरी का अभी कोई नियम तैयार नहीं हुआ है. सरकार को कार्मिक विभाग ने इस तरह का प्रस्ताव भेजा है. सरकार इस पर विचार करेगी. अगर कोई सहमति बनती है तो इस मामले को कैबिनेट के सामने रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार जो तीन लाख नौकरियां देने जा रही है वह स्थायी नौकरियां होंगी. उनका संविदा से कोई लेना-देना नहीं होगा.

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