जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आबकारी विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर बड़ी कार्रवाई की है। यूपी सरकार ने सहारनपुर के टापरी कोऑपरेटिव डिस्टलरी में आबकारी विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से 100 करोड़ रुपए की टैक्स और एक्साइज ड्यूटी की चोरी पकड़े जाने के मामले में 12 अधिकारियों व कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है। साथ ही इस मामले की जांच को एसआईटी को भी सौंप दी गई है।
प्रदेश सरकार ने जिन अधिकारियों को निलंबित किया है उनमें सहारनपुर मंडल के उप आबकारी आयुक्त राकेश कुमार चतुर्वेदी, सहायक आबकारी आयुक्त रामपाल सहित आबकारी विभाग के दस अधिकारी व कर्मचारी शामिल है। इसके लावा सहारनपुर सहित पांच जिलों के देसी शराब की थोक आपूर्ति के लाइसेंस को भी निरस्त कर दिए गए हैं।
इस मामले में अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि अभी तक आबकारी विभाग के 10 कर्मियों को निलंबित किया गया है। साथ ही सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी गई है। इसके अलावा सहारनपुर, कानपुर, उन्नाव, बदायूं और संभल के देसी शराब की थोक आपूर्ति के लाइसेंस को निरस्त कर दिया गया हैं।
ये हुए निलंबित
प्रदेश सरकार ने जिन अधिकारियों का निलंबित किया है उसमें टपरी डिस्टलरी के प्रभारी सहायक आबकारी आयुक्त, आबकारी निरीक्षक सहित चार आबकारी गोदामों के आबकारी निरीक्षक, सहारनपुर के आबकारी निरीक्षक अरविन्द कुमार वर्मा, उन्नाव के रवीन्द्र किशोर, बदायूं के रामजीत, संभल के पवन कुमार शर्मा और कानपुर की आबकारी निरीक्षक ज्योति सिंह शामिल है।
एसटीएफ ने किया पर्दाफाश
एडीजी अमिताभ यश के निर्देश पर एसटीएफ की टीम ने बीती तीन मार्च को कोऑपरेटिव कंपनी लिमिटेड टपरी सहारनपुर, स्थानीय आबकारी डिस्ट्रीब्यूटरों तथा को-ऑपरेटिव फैक्ट्री टपरी में नियुक्त आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से भारी मात्रा में टैक्स एवं एक्साइज ड्यूटी की चोरी का खुलासा किया था। इस छापेमारी में एसटीएफ ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया था।
इसके बाद एसटीएफ ने उनसे गहन पूछताछ की। इसके बाद जब आबकारी विभाग के कानपुर-लखनऊ मार्ग पर स्थित आबकारी गोदाम पर छापेमारी की गई, तो वहां पर भी भारी अनियमितता सामने आई।
प्राथमिक जांच में ये सामने आया कि एक टैक्स इनवॉइस या गेटपास पर एक ही गाड़ी से दो बार शराब निकालकर वेयर हाउसों पर पहुंचाई जा रही थी। इससे को-आपरेटिव कंपनी लिमिटेड टपरी के अधिकारी, कर्मचारियों एवं लोकल आबकारी डिस्ट्रीब्यूटरों द्वारा एक बार में करीब 32 लाख रुपए की टैक्स चोरी हो रही थी।