जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी के दौरान जब देशव्यापी तालाबंदी हुई थी तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फ्रंट पर आकर काम कर रहे थे। एक ओर वह प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार का प्रबंध करने पर जुटे थे तो वहीं आने वाले समय में कोरोना से निपटने के लिए अस्पतालों में बेड और वेंटीलेटर बढ़ा रहे थे। दो माह पहले ही यूपी सरकार ने कहा था कि पूरे प्रदेश एक लाख बेड का इंतजाम हो गया है। हर प्रेस कांफ्रेस में सूबे का पूरा महकमा अपनी पीठ थपथपा रहा था कि देश के सभी राज्यों में योगी सरकार सबसे बेहतर तरीके से इस महामारी से निपट रही है, पर ऐसा हुआ नहीं। तालाबंदी में ढ़ील हुई तो सरकार के दावों की पोल खुलने लगी। सारे दावे हवाहवाई हो गए।
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हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार
कोरोना महामारी ने योगी सरकार से लेकर केंद्र सरकार की चिंता बढ़ा दिया है। सरकार की चिंता न बढ़ती यदि सूबे के हाईकोर्ट ने सरकार को इस मुद्दे पर खरी-खोटी न सुनाया होता। जी हां, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते दिनों प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद ठोस कदम न उठाने पर सरकार की खिंचाई की है। अदालत ने मुख्य सचिव द्वारा दाखिल हलफनामे में कोविड 19 को राष्ट्रीय गाइड लाइन एक व दो पालन करने के लिए उठाए गए किसी कदम की जानकारी न देने पर नाराजगी जताई है।
अदालत ने एक दिन का समय देते हुए पूछा है कि सोशल डिस्टेन्सिंग और मास्क पहनने के नियम का सरकार कैसे पालन करायेगी। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की बेंच ने क्वारंटीन सेंटरों की दुर्दशा और अस्पतालों में इलाज की बेहतर सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। आज इस मामले में फिर सुनवाई होगी।
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पीठ थपथाने में व्यस्त है पूरा सरकारी महकमा
देश में कोरोना संक्रमण के हर दिन रिकार्ड मामले आ रहे हैं। ऐसा ही कुछ हाल यूपी का है। सूबे में हर दिन कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से यह पहले पायदान पर आ गया है। वर्तमान में यूपी में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले हैं। यहां अब तक कोरोना के 2 लाख 26 हजार मामले सामने आए है। वहीं कोरोना संक्रमण से अब तक 3423 लोगों की मौत हो चुकी है। बावजूद इसके सरकार संक्रमण रोकने का उपाय न कर अपनी पीठ थपथपा रही है कि सरकार अच्छा काम कर रही है।
दरअसल हाईकोर्ट की नाराजगी यूं ही नहीं है। सूबे के सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था और क्वारंटीन सेंटरों की बदहाली की वजह से अदालत खरी-खरी बोलने पर मजबूर हुई है। सोशल मीडिया पर अव्यवस्था और बदहाली की वीडियो संदेश भरे पड़े हैं। पिछले दिनों ही सदन में समाजवादी पार्टी के एमएलसी सुनील सिंह साजन ने भी राजधानी की पीजीआई की अव्यवस्था के बारे में बताया था कि किस तरह डॉक्टर-कर्मचारी लोगों के साथ व्यवहार कर रहे हैं। साजन ने तो यूपी सरकार के मंत्री रहे चेतन चौहान की मौत की वजह अव्यवस्था को ही बताया था।
साजन का बयान तो सिर्फ एक बानगी है। दरअसल कोरोना महामारी ने यूपी सरकार के स्वास्थ्य महकमे का पोल खोलकर रख दिया है। एक ओर अस्पतालों में बेड नहीं है तो दूसरी ओर अस्पताल कर्मचारियों का मरीजों के साथ व्यवहार अच्छा नहीं है। कई मरीज ऐसा आरोप लगा चुके हैं कि अस्पतालों में डॉक्टर-नर्स उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दे रहे हैं।
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यूपी सरकार की किरकिरी से केंद्र सरकार की बढ़ी चिंता
यूपी में कोरोना के बढ़ते मामलों और हो रही किरकिरी से केंद्र सरकार भी चिंतित है। कोरोना महमारी और बदहाल अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार खुद घिरी हुई है तो वहीं योगी सरकार पर उठ रहे सवाल ने चिंता और बढ़ा दी है। केंद्र की चिंता यूं ही नहीं है।
दरअसल उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होना है और चुनाव में योगी सरकार के कामकाज की गिनती तो होगी ही।
कोरोना के शुरुआत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इससे निपटने के लिए जिस तरह से काम कर रहे थे उससे चारों ओर अच्छा संदेश गया था। सरकार के काम की तारीफ हो रही थी और सरकार भी बढ़-चढ़कर अपने काम को गिना रही है। लेकिन तालाबंदी में ढ़ील मिलने के बाद सरकार कोरोना के मामले रोकने में नाकाम रही। एक ओर कोरोना के बढ़ते मामले तो दूसरी ओर प्रदेश में बढ़ते क्राइम ने सरकार के कामकाज पर सवाल खड़ा कर दिया है। प्रदेश में विपक्ष भी हमलावर है।
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस योगी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। क्राइम, कोरोना महामारी और अस्पतालों की अव्यवस्था को लेकर विपक्षी दल लगातार योगी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। विपक्ष के आरोपों से सरकार भी असहज हो गई है। रही सही कसर हाईकोर्ट ने पूरा कर दिया। ऐसे में केंद्र सरकार की चिंता बढऩा जायज है। जाहिर है इसका प्रभाव 2022 के चुनाव में पड़ेगा। बीजेपी को इसका बखूबी भान है।
कोरोना कब तक जायेगा यह किसी को नहीं मालूम। जब तक कोरोना का टीका नहीं आता तब तक इससे छुटकारा मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। ऐसे हालात में आने वाले समय में यूपी में स्थिति और भयावह होगी और उसका असर कहां दिखेगा सभी को मालूम है।