जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश की विधानसभा के शीतकालीन सत्र में योगी सरकार ने जातिगत जनगणना पर पहली बार प्रतिक्रिया दी है. समाजवादी पार्टी के विधायक डॉक्टर संग्राम यादव के सवाल के जवाब में राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने जवाब दिया.
विधानसभा सत्र के पहले दिन से ही सपा, उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत सभी विधायक और नेता जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं. अखिलेश यादव ने यहां तक कहा था कि जातीय जनगणना के बगैर समाजिक न्याय नहीं हो सकता है. 2024 के चुनाव में भी जातीय जनगणना मुद्दा रहेगा. अब जबकि यूपी सरकार ने विधानसभा में जवाब दे दिया तो ऐसे में इस मुद्दे पर फिर से बीजेपी और सपा में ठन सकती है.
विधानसभा सत्र के तीसरे दिन, गुरुवार को सपा ने योगी सरकार से सवाल किया कि क्या वह राज्य में जातिवार जनगणना कराने पर विचार करेगी? इस पर सरकार की ओर से कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही वे जवाब दिया. शाही के जवाब से असंतुष्ट सपा विधायक, सदन की कार्यवाही बीच में छोड़कर चले गए.
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मंत्री शाही ने कहा कि..
दरअसल, शाही ने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना नहीं हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि सपा की संविधान में आस्था नहीं है. जनगणना का विषय केंद्र सरकार के अधीन है. बीजेपी नेता ने कहा कि भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के संघ सूची में जनगणना 69वें नंबर पर है.
राज्य सरकार के मंत्री ने कहा कि जनगणना के लिए केंद्र ने सेंसस एक्ट 1948 और सेंसस रूल्स 1990 बनाया है. इसके तहत जनगणना का काम केंद्र करती है. राज्य सरकार, केंद्र के अधिकार में अतिक्रमण नहीं करेगी. इसी संदर्भ में जब संसदीय कार्य मंत्री और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि जनगणना का काम केंद्र का है तो इस पर सपा विधायकों ने हंगामा किया और कार्यवाही छोड़कर बाहर चले गए.