जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लेकर मचे घमासान के बीच गुरुवार को उतर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जा पहुंची है।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। हाईकोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण दिए चुनाव के लिए कहा था।
इसके बाद योगी सरकार और विपक्ष का बीच खूब घमासान देखने को मिल रहा है। यूपी सरकार ने आदेश पर रोक की मांग की है. 2 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) खुलने पर इस मामले में सुनवाई हो सकती है।
दरअसल इस पूरे मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा कदम उठाया है और बिना ओबीसी आरक्षण के नगर निकाय चुनाव कराने का फैसला सुनाया था।
कोर्ट ने कहा था कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो, तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं होगा, सरकार बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव करवाए। इस पूरे मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने मंगलवार को 70 पेजों का अपना फैसला सुनाया है। इस फैसले में कहा गया है कि ओबीसी आरक्षण को रद्द किया गया था।
वही कल उतर प्रदेश की योगी सरकार एक बार फिर बड़ा कदम उठाते हुए प्रदेश में ओबीसी आयोग का गठन कर दिया है। इसमें रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में गठित आयोग में कुल पांच सदस्य को शामिल किया है। रकार की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी गयी है।
अधिसूचना के अनुसार चोब सिंह वर्मा सेवानिवृत्त आईएएस, महेन्द्र कुमार सेवानिवृत्त आईएएस, संतोष कुमार विश्वकर्मा भूतपूर्व अपर विधि परामर्शी तथा बृजेश कुमार सोनी पूर्व अपर विधि परामर्शी एवं अ.जिला जज को आयोग का सदस्य नामित किया गया है।
अधिसूचना के अनुसार आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति पदधारण की तिथि से 06 माह की अवधि के लिए की गई है। अध्यक्ष एवं सदस्यों के मानदेय, भत्तों एवं अन्य सुविधाओं के सम्बन्ध में पृथक से आदेश निर्गत किए जाएंगे।