जुबिली न्यूज डेस्क
गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किला और दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में हुई हिंसा के बाद नए कृषि कानूनों के विरोध में करीब दो महीनों ने यूपी गेट और गाजीपुर बॉर्डर डेरा डालकर बैठे किसानों को हटाने के लिए पुलिस ने कमर कस ली है।
इसके लिए धरनास्थलों के बिजली-पानी काटकर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती भी बढ़ा दी गई है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों की बढ़ी तादाद को देखकर किसान आशंकित दिख रहे हैं। गाजियाबाद के डीएम और एसएसपी भी यूपी गेट पर पहुंच गए हैं। यूपी गेट बॉर्डर पर कई बसों में भरकर भारी संख्या में पुलिस, पीएसी, केंद्रीय अर्धसैनिक बल पहुंचे।
सूत्रों की माने तो यूपी की योगी सरकार ने सभी जिलों के डीएम और एसएसपी को किसान आंदोलन खत्म कराने का निर्देश दिया है।
26 जनवरी को हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद कुछ किसान संगठनों ने स्वेच्छा से चिल्ला बाॅर्डर,दलित प्रेरणा स्थल से आंदोलन वापस ले लिया। बागपत में लोगों को समझाने के बाद उन्होंने रात में धरना खत्म कर दिया। UP गेट पर अभी कुछ लोग हैं, उनकी संख्या काफी कम हुई हैः ADG(कानून-व्यवस्था), UP pic.twitter.com/la9z90kCjl
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 28, 2021
उत्तर प्रदेश के ADG (कानून-व्यवस्था) ने बताया कि 26 जनवरी को हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद कुछ किसान संगठनों ने स्वेच्छा से चिल्ला बॉर्डर, दलित प्रेरणा स्थल से आंदोलन वापस ले लिया। बागपत में लोगों को समझाने के बाद उन्होंने रात में धरना खत्म कर दिया। यूपी गेट पर अभी कुछ लोग हैं, उनकी संख्या काफी कम हुई है। लिंक रोड स्थित टेंटों को भी हटाया जा रहा है।
Delhi police commissioner writes to Delhi Police staff. His letter reads, "You showed great patience despite the farmers' agitation turning violent…394 of our friends were injured in the violence & some are in hospital. I met some of them, they are being given proper treatment" pic.twitter.com/8qcgWPZN4q
— ANI (@ANI) January 28, 2021
दूसरी ओर दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव ने दिल्ली पुलिस कर्मियों को पत्र में लिखा कि 26 जनवरी को किसान आंदोलन के हिंसक हो जाने पर आपने अत्यंत संयम और सूझबूझ का परिचय दिया। मैं आपके संयम और धैर्य के लिए धन्यवाद देता हूं। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि मैं आपको बताना चाहूंगा कि आने वाले दिन हमारे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। इसलिए, हमें सतर्क रहना होगा। हमें धैर्य रखते हुए और अनुशासित रहना होगा।
बता दें कि दिल्ली में 26 जनवरी को हुई हिंसा के मामले की 9 FIR क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर की गई है। दिल्ली हिंसा की जांच क्राइम ब्रांच के साथ स्पेशल सेल भी करेगी।
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वहीं, राकेश टिकैत के भाषण में बल पूर्वक हटाए जाने का डर दिख रहा है। किसान नेता आगे की रणनीति को लेकर आपस में बैठक कर रहे हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार को इस आंदोलन को नहीं चलने देना है तो यहां से हमें गिरफ्तार करे। उन सभी ट्रैक्टर सवार किसानों का धन्यवाद जो यहां आए, उन्हें जो रूट दिया गया। उन किसानों को दिल्ली के चक्रव्यूह में फंसाया गया।
राकेश टिकैत ने कहा कि जिन्होंने उल्टे सीधे ट्रैक्टर घुमाए उनसे हमारा कोई संबंध नहीं है। टिकैत ने कहा कि हिंसा का शब्द हमारी डिक्शनरी में ना है और ना रहेगा। लाल किले में जो कुछ भी हुआ उससे आंदोलन को तोड़ने की साजिश रची गई। प्रशासन अपनी चाल में कामयाब हो गया। जो जत्था वहां पहुंचा था, उन्हें पुलिस बैरिकेडिंग पर नहीं रोका गया।
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अधिकारियों से बातचीत के बाद उन्हें जाने दिया गया। उनके धार्मिक भावनाओं को भड़काकर एक धार्मिक ध्वज फहराया गया। लाल किले की प्राचीर पर जो गया उसकी तस्वीर किसके साथ है। राकेश टिकैत ने कहा कि यह वैचारिक लड़ाई है। वैचारिक क्रांति है। यह विचार से ही खत्म होगी, लाठी, डंडे से नहीं।
बता दें कि गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद अब किसान आंदोलन के भविष्य पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बीते दिन दो किसान संगठनों ने अपना आंदोलन खत्म किया था, अब गुरुवार को एक और संगठन आंदोलन से अलग हुआ है। गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) ने अपना आंदोलन समाप्त किया। बीते दिन राष्ट्रीय मजदूर किसान संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने अपना प्रदर्शन समाप्त किया था।