न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दूसरे राज्य से आ रहे श्रमिकों की चुनौती को अवसर में बदलने में जुटी हुई है। चीन के बड़े उद्यमों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को बांग्लादेश, वियतनाम जैसे देशों की तुलना में बेहतर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSME- Micro, Small & Medium Enterprises) का बड़ा हब बनाने में जुटी योगी सरकार लेबर रिफॉर्म कानून के जरिए श्रमिकों को गांवों व कस्बों में ही रोजगार देने की योजना बनाई है।
यूपी को MSME हब बनाने के लिए क्या कर रही योगी सरकार
- उद्योग लगाइए और 1000 दिनों के भीतर आखिरी सौ दिनों में आवेदन कर तय NOC पाइए
- एमएसएमई और ओडीओपी सेक्टर की 90 लाख छोटी बड़ी यूनिटों पर भी सीएम योगी की नजर, हर यूनिट में नए रोजगार सृजित कर 90 लाख नए रोजगार पैदा करने का लक्ष्य
- प्रत्येक यूनिट में सृजित होगा कम से कम एक अतिरिक्त रोजगार
- पर्यावरण नियमों को छोड़ बाकी नियमों का किया गया सरलीकरण
- सब कुछ सही है तो तय सीमा के भीतर देनी ही होगी पर्यावरण समेत सभी NOC
- उद्यमियो के लिए सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए देकर हर हाथ को रोजगार देने के महाअभियान में जुटे सीएम योगी
- आटोमोड में पूरी होगी एनओसी की पूरी प्रक्रिया
- आज इसी महत्वपूर्ण विषय पर टीम – 11 के साथ बैठक कर रहे सीएम योगी
- यूपी सरकार लगाएगी 12 से 20 मई तक विशाल लोन मेला
- आनलाइन आवेदन कर कोई भी ले सकता है लोन, लोन मेला के मद्देनजर एसएलबीसी की महत्वपूर्ण बैठक भी
- उद्यम लगाने वालों को हर तरह की मदद देगी योगी सरकार
- अधिकारियों को निर्देश, उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए तैयार करें विस्तृत कार्ययोजना
- कोई भी उद्यम लगाने के बाद एक हजार दिनों में आवेदन कर आखिरी सौ दिनों के भीतर लेनी होगी अनुमति,
इसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टीम-11 के साथ बैठक कर रणनीति तैयार की है। इस बैठक में बाहर से आ रहे 20 लाख प्रवासी कामगारों का क्वारंटीन सेंटर्स में ही तेजी से स्किल डेटा तैयार करने के निर्देश दिए हैं। अब तक 8 लाख प्रवासी श्रमिक/कामगार यूपी पहुंच चुके हैं। सीएम योगी ने सभी की सुरक्षित व सम्मानजनक वापसी के साथ ही पूरी मदद के निर्देश दिए हैं।
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श्रम कानूनों से तीन साल की छूट ने प्रदेश में औद्योगिक निवेश के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन के बाद प्रदेश में बड़ी कंपनियां उद्योग लगाने के लिए आ चुकी हैं। कई में तो उत्पादन भी शुरू हो गया है। कोरोना काल में बेहतर औद्योगिक माहौल और रोजगार के लिए ये बदलाव सरकार जरूरी मान रही है। दूसरे देशों में कोरोना संकट के फैलाव से परेशान विदेशी कम्पनियां भी प्रदेश में आ सकती हैं।
यूपी सरकार ने ये किए बदलाव
- –भूमि को जोतने बोने, कृषि वस्तु का उत्पादन, उसकी खेती, उसे उगाने, काटने, मंडी में पहुंचाने, मंडी तक पहुंचाने का काम करने आदि के लिए न्यूनतम मजदूरी रुपये 201 प्रतिदिन या 5226 प्रतिमाह होगी।
- यह मजदूरी नगर पालिका क्षेत्र के छह किमी के दायरे में आने वाले फार्म जहां मशरूम आदि की खेती होती है, वहां पर भी लागू होगी।
- यह दुग्ध उत्पादन, पशुधन में वृद्धि, मधुमक्खी पालन, कुक्कुट पालन आदि उद्योग पर भी लागू होगी।
- कोई वयस्क कर्मकार किसी कारखाने में रोज 12 घंटे या सप्ताह में 72 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेगा।
- किसी कारखाने में काम की पालियां छह घंटे की होंगी, इनमें आधे घंटे का अंतर जरूरी होगा।
- मजदूरी विद्यमान मजदूरी दरों पर ही होगी। मसलन, यदि आठ घंटे की मजदूरी 80 रुपये थी तो 12 घंटे की मजदूरी 120 रुपये होगी।
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श्रम कानून में दी गई छूट विदेशी कंपनियों की प्रदेश में राह और आसान कर सकतीं हैं। हालांकि सरकार ने छूट देते समय प्रदेश के श्रमिकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का विशेष ध्यान रखा है। मौजूदा उद्योगों को भी आउटसोर्सिंग के जरिए श्रमिकों को अपने यहां नौकरी देने की सुविधा रहेगी। श्रमिकों के हित में प्रदेश सरकार ने साफ किया है कि इस अध्यादेश का बंधुआ श्रम अधिनियम, कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम, भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन व सेवा शर्त विनियमन) अधिनियम व बच्चों और महिलाओं के नियोजन में श्रम कानून जस के तस लागू रहेंगे। उसमें कोई छूट नहीं दी जाएगी।
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उत्तर प्रदेश सरकार में श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के अनुसार श्रम कानूनों में तीन साल की छूट में श्रमिकों के हित यथावत रहेंगे। उनकी नौकरी की सुरक्षा सरकार जिम्मेदारी है। ये छूट मौजूदा उद्योगों को कोरोना संकट के समय मदद करने और प्रदेश में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देगा। सुरेश चन्द्रा प्रमुख सचिव, श्रम का कहना है कि इस अध्यादेश का श्रमिकों से कोई लेना देना नहीं है। बल्कि इससे तो श्रमिकों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे।