जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. सूबे के 27 लाख से अधिक किसानों को आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना की सौगात देकर प्रदेश सरकार इनकी आय में इजाफा करेगी। इसके लिए उक्त योजना पर सरकार 722.85 करोड़ रुपये खर्च करेगी। किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के जरिए खेती करने वाले किसानों की आय बढ़ाने के लिए खेत से बाजार तक हर स्तर पर सुविधा व संसाधन उपलब्ध कराने पर यह धनराशि अगले पांच वर्ष में खर्च होगी। चालू वित्त वर्ष में इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रदेश सरकार कर दी है। इस योजना के अंतर्गत अब पांच वर्ष में 2725 कृषक उत्पादक संगठनों का गठन कर 27.25 लाख शेयर होल्डर किसानों को सीधे लाभान्वित किया जाएगा।
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राज्य में किसानों की आय में इजाफा करने के लिए सरकार ने हर ब्लाक में कम से कम एक एफपीओ के गठन का फैसला किया है। जिसके तहत राज्य के 824 ब्लाक में से 408 ब्लाक में 693 एफपीओ गठित किए गए हैं। एक एफपीओ से करीब 500 से 1000 किसान जुड़े होते हैं। एफपीओ के रूप में छोटे और सीमांत किसानों के समूह के पास फसलों की बिक्री के लिए मोल भाव की ताकत मिलती है। जिसके चलते अब आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के तहत अगले पांच वर्षों में 2725 एफपीओ के गठन की योजना को तेज किया गया।
अधिकारियों के मुताबिक एफपीओ के जरिए किसानों की आय में वृद्धि होगी। इसकी मदद से किसानों को अपनी उपज का मोल भाव करने का मौका मिलता है। किसान चाहे व्यापारियों या कंपनियों को सीधे उपज बेच रहा हो या अनुबंध खेती के जरिए खेती कर रहा है, उसे इन एफपीओ से बड़ी मदद मिलेगी। एफपीओ के जरिये किसानों को अपनी उपज की सही कीमत पा सकेगा। आत्मनिर्भर कृषक समन्वित विकास योजना के तहत राज्य में कार्यरत एफपीओ से जुड़े किसान पांच लाख रुपए का ऋण लेंगे उन्हें ऋण पर 4 प्रतिशत का अनुदान मिलेगा। इस तरह एफपीओ से जुड़े किसान कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकेंगे। इससे कृषि विकास से जुड़ी संस्थाएं कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास कर किसानों की खेती लागत में कमी व आय बढ़ाने का काम कर सकेंगी।
अधिकारियों के अनुसार, सरकार अगले पांच वर्ष तक प्रति वर्ष 625 एफपीओ का गठन करेगी। केंद्र सरकार की संस्थाओं के अलावा राज्य की यूपी डास्प, हॉर्टिकल्चर फेडरेशन, योग्य एफपीओ व स्वयं सेवी संस्थाएं इनके गठन का काम करेंगी। एफपीओ का गठन करने वाली कलस्टर बेस्ड बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन को 5 वर्ष तक प्रति वर्ष 5-5 लाख रुपये तथा नव गठित एफपीओ को 6-6 लाख रुपये तक तीन वर्ष तक देने की योजना है। एफपीओ को फसल कटाई के बाद की अवसंरचना सुविधाओं के सृजन के लिए 3 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इससे एफपीओ से जुड़े 500 से लेकर 1000 किसान सीधे लाभ पाएंगे।
प्रति वर्ष सीधे 3,000 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। प्रत्येक एफपीओ से औसत 1.5 करोड़ का निवेश कराने की योजना है। अभी तक प्रदेश में खाद, बीज व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने वाली कृषि सहकारी समितियां (पैक्स) मार्जिन मनी न होने की वजह से कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) की स्कीम का लाभ नहीं ले पाती थी। अब प्रदेश की 1500 पैक्स इस स्कीम के जरिए किसानों को लाभ पहुंचा सकेंगी। यहीं नहीं सस्ता ऋण मिलने के चलते सूबे की प्रत्येक पैक्स 20 लाख रुपए की परियोजना शुरू कर सकेगी। पैक्स की ऐसी परियोजना में 4 लाख रुपये मार्जिन मनी के रूप में राज्य सरकार देगी। 16 लाख एआईएफ से मिलेगा। इसकी ब्याज दर एक प्रतिशत होगी। ये सभी पैक्स गोदाम बना पाएंगे, जिसका लाभ किसानों को होगा। कृषि उत्पादन मंडी परिषद की 27 मंडियों में फसल कटाई के बाद अनाज के भंडारण व प्रबंधन संबंधी अवस्थापना सृजन के लिए 140 करोड़ की योजना तैयार की गई है। मंडी परिषद भी केवल 3 प्रतिशत की ब्याज दर पर एआईएफ से ऋण प्राप्त कर संसाधन बढ़ा सकेंगी।
एफपीओ क्या है?
किसान उत्पादक संगठन किसानों का एक ऐसा समूह होता है जो कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होता है। यह खेती-किसानी से जुड़े काम को आगे बढ़ाने में मदद करता है। एफपीओ से कई किसान जुड़े होते हैं। इससे उन्हें फसल का वाजिब भाव मिलना आसान हो जाता है। यूपी में अभी 693 एफपीओ बने हैं। अगले पांच वर्ष में यूपी सरकार 2725 एफपीओ गठित करेगी। जबकि केन्द्र सरकार वे वर्ष 2023-24 तक देशभर में 10,000 नए एफपीओ स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।
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