जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। यूपी कुपोषण, अल्प पोषण, बाल मृत्यु और बच्चों के शारीरिक विकास से पीड़ित है। बिहार के बाद यूपी कुपोषण के मामले में दूसरे स्थान पर है। यहां का हर तीसरा बच्चा कुपोषित है। प्रत्येक वर्ष के सितम्बर माह को सुपोषण माह के रूप में मनाने का छलावा किया जा रहा है।
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 46.5% बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। वहीं राजधानी से सटे बाराबंकी जिले में 60,447 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। ये महज सरकारी आंकड़े हैं जमीनी हकीकत इससे भी तल्ख और बदरंग है। ये आंकड़ें योगी सरकार के लिए शर्मनाक हैं।
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यूपी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में महज एक साल बाकी है। बीते चार सालों में कुपोषण की रोकथाम के लिए सरकारी कार्यक्रम और दावे महज कागजी साबित हुए हैं।
नवजात शिशुओं को मिलने वाले पोषण के आंकड़े महज अफसरों की बाजीगरी है। सुधार के नाम पर तीन महीने से पुराने आंकड़े ही किए जा रहे हैं ऊपर नीचे। प्रदेश सरकार के अधिकारियों एवं मंत्रियों के भ्रष्टाचार के चलते सार्वजनिक वितरण प्रणाली बेलगाम हेा चुकी है और आईसीडीएस और आंगनबाड़ी जैसी योजनाएं सरकारी उदासीनता के चलते पंगु हो चुकी हैं।
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यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिनों मात्र 16% बजट इस पर खर्च हो पाया है। जिसके चलते यूपी में बच्चों और गर्भवती महिलाओं में कुपोषण कीं सख्या में इजाफा हुआ है। प्रदेश में जितने भी कुपोषण मुक्त बनाने के लिए अभियान चलाये जा रहे हैं वह सिर्फ कागजी हैं।
ये सभी अभियान सरकार व अधिकारियों की मिलीभगत की भेंट चढ़ रहे हैं। प्रदेश के कई जिले कुपोषण के चलते रेड जोन में आ चुके हैं। लेकिन सरकार और उसके मंत्री कागजी खेल में जुटे हुए हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पिछले साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर से सटे बस्ती जिले के कप्तानगंज थाने के ओझा गंज गांव के निवासी हरीश चन्द्र का पूरा परिवार कुपोषण की भेंट चढ़ गया। हरिश्चन्द्र की दो बेटियां, एक बेटा और पत्नी की कुपोषण से मौत हो गयी।
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यूपी सरकार की नाकामी के चलते राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया और प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। यह केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकार के कुपोषण मुक्त भारत बनाने और स्वस्थ एवं सबल भारत बनाने के झूठ को आईना दिखाता है।
लल्लू ने कहा कि प्रदेश में सर्वाधिक युवाओं की आबादी है। ऐसे में यदि बच्चे कुपोषित होंगे तो उनके भविष्य का क्या होगा, यह बहुत ही चिन्ता का विषय है। पूर्ववर्ती केन्द्र की कांग्रेसनीत यूपीए की सरकार ने गरीब एवं कुपोषित महिलाओं एवं बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं जैसे बाल विकास एवं पुष्टाहार, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना एवं खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू किया था।
लेकिन कांग्रेस की सरकार जाने के बाद केन्द्र सरकार और प्रदेश की योगी सरकार इन योजनाओं के प्रति गंभीर नहीं रही और लगातार इन योजनाओं का आवंटित बजट घटाया जा रहा है, जिसका परिणाम है कि आज प्रदेश में महिलाएं और बच्चे कुपोषण एवं रक्त अल्पता से अपनी जान गंवाने के लिए मजबूर हैं।
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