न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सूबे के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ा एलान किया है। अब तय समय में बिजली संबंधी समस्याएं दूर न हुईं तो उपभोक्ताओं को मुआवजा मिलेगा। नए कानून से लगभग 2 करोड़ 87 लाख लोगों को लाभ होने की संभावना है।
यूपी सरकार ने यूपी विद्युत नियामक आयोग की तैयार किए गए स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस रेगुलेशन-2019 पर गजट नोटिफिकेशन कर दिया है। इसके साथ ही प्रदेश में मुआवजा क्लॉज प्रभावी हो गया है। इस कानून को पृथक रूप से लागू करने वाला यूपी पहला राज्य बन गया है।
यानी तय समयसीमा में समस्याओं का निस्तारण नहीं होने पर उपभोक्ता बिजली कंपनियों से मुआवजा पाने के हकदार हो जाएंगे। नियामक आयोग का कहना है कि इस कानून को लागू कराने के लिए सतत मॉनीटरिंग व प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ता इसका लाभ ले सकें।
विद्युत वितरण संहिता-2005 में ब्रेक डाउन, केबल फॉल्ट, ट्रांसफार्मर बदलने, नया कनेक्शन लेने, मीटर रीडिंग, लोड घटाने-बढ़ाने समेत अन्य तमाम तरह की शिकायतों के निस्तारण के लिए समयसीमा निर्धारित की गई है। साथ ही, इस समयसीमा का उल्लंघन किए जाने पर मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं की शिकायतों का निस्तारण समय से नहीं करती हैं।
इससे उपभोक्ताओं को परेशानी के साथ ही आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। इसको लेकर राज्य विद्युत नियामक आयोग के समक्ष कई जनहित याचिकाएं भी दाखिल की गई थीं। इसके आधार पर ही आयोग ने नया स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस रेगुलेशन-2019 तैयार किया है जो अब प्रभावी हो गया है।
खास बात यह है कि इस कानून के तहत बिजली कंपनियों द्वारा भुगतान की जाने वाली मुआवजे की राशि उपभोक्ताओं की बिजली दरों (एआरआर) में शामिल नहीं होगी।
स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस रेगुलेशन-2019 के तहत बिजली कंपनियों को उपभोक्ताओं को अधिकतम 60 दिन में मुआवजा देना अनिवार्य होगा। उपभोक्ता को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज/डिमांड चार्ज के 30 प्रतिशत से अधिक का मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
अगर एक किलोवाट भार क्षमता का कनेक्शन वाला उपभोक्ता अगर महीने में 100 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ। ऐसे में उस उपभोक्ता को एक वर्ष में अधिकतम 360 रुपये ही मुआवजा मिल पाएगा।
इस प्रकार होगा मुआवजे की दर
उपभोक्ता समस्या देरी पर मुआवजे की दर (प्रतिदिन)
अंडरग्राउंड केबल ब्रेकडाउन 100 रुपये
सब स्टेशन का निर्माण बाधित होने की स्थिति में वोल्टेज में उतार-चढ़ाव 250 रुपये
नया कनेक्शन वितरण मेंस उपलब्धता पर 50 रुपये
मीटर रीडिंग के मामले 200 रुपये
डिफेक्टिव मीटर व सामान्य फ्यूज ऑफ 50 रुपये
बिलिंग शिकायत और भार में कमी व आधिक्य 50 रुपये
श्रेणी परिवर्तन 50 रुपये
ट्रांसफार्मर फेल (ग्रामीण) 150 रुपये
अस्थायी कनेक्शन जारी करना 100 रुपये
बिजली आपूर्ति बढ़ाने के लिए सबस्टेशन की स्थापना 500 रुपये
कॉल सेंटर से रिस्पांस न दिया जाना 50 रुपये
फर्जी अवशेषों को आगे ले जाना 100 रुपये प्रति चक्र
नया कनेक्शन व नेटवर्क विस्तार पर अतिरिक्त भार 250 रुपये
ओवरहेड लाइन व केबल ब्रेकडाउन 100 रुपये
उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग का जताया आभार
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस रेगुलेशन-2019 लागू कराने के लिए नियामक आयोग चेयरमैन श्री आरपी सिंह से मिलकर उनका आभार जताया। उपभोक्ता परिषद ने आयोग से इस कानून को पूरे प्रदेश में कड़ाई से लागू कराने का अनुरोध किया है। वर्मा ने कहा यह प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की बड़ी जीत है। इससे उपभोक्ताओं के प्रति बिजली कंपनियों की जवाबदेही बढ़ेगी।
दूसरी ओर योगी सरकार के इस फैसल को 2022 विधानसभा चुनाव से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल सरकार द्वारा 200 यूनिट तक बिजली फ्री किए जान को जनता ने काफी पसंद किया था, जिसे देखते हुए यूपी की योगी सरकार ने किसानों के लिए 200 यूनिट तक बिजली का बिल माफ करने का एलान किया है। इसके बाद अन्य उपभोक्ताओं के लिए मुआवजा क्लॉज प्रभावी करके खुश करने की कोशिश की है।
गौरतलब है कि 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान यूपी में बिजली बड़ा मुद्दा बना था और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच जमकर बयानबाजी हुई थी।