जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश में उपचुनाव हो चुके हैं। सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने 6 सीटें जीती,जबकि एक सीट सपा के खाते में गई। उपचुनाव के बाद अब योगी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार होने की संभावना बढ़ गई है। दरअसल कोरोना महामारी की चपेट में आने से यूपी सरकार के दो मंत्रियों की मौत हो गयी जिसके बाद दो मंत्रियों के स्थान खाली हो गये। इसके अलावा चार स्थान पहले से रिक्त हैं।
बताया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का यह आखिरी बार मंत्रिपरिषद का विस्तार होगा। इसीलिए इसमें न केवल जातीय समीकरणों के हिसाब से समायोजन होगा, बल्कि क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने की कोशिश की जाएगी। प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री चेतन चौहन की कोरोना के चलते मृत्यु हो गई। उपचुनाव में उनकी पत्नी संगीता चौहान जीत गईं।
इसी प्रकार बुलंदशहर में दिवंगत विधायक वीरेंद्र सिंह सिरोही की पत्नी ऊषा सिरोही भी उपचुनाव जीती हैं। इन दोनों में से किसी एक को मंत्री पद दिया जा सकता है। कल्याण सिंह सरकार में मंत्री रह चुके वीरेंद्र सिंह सिरोही की इस सरकार में भी मंत्री पद के लिए मजबूत दावेदारी थी, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला सका।
इसके अलावा एक और मंत्री कमल रानी वरुण के निधन के बाद मंत्रिमंडल में महिलाओं की संख्या अपेक्षाकृत कम हो गई है। अब इस संख्या को तीन से बढ़ा कर चार किया जा सकता है।
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वहीं दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने कुछ मंत्रियों के कामकाज से नाखुश हैं। इसलिए उनकी छुट्टी कर उन्हें संगठन में भेजा जा सकता है। साथ ही उम्रदराज मंत्रियों को अन्य जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। युवा विधायकों में कुछ को मौका मिल सकता है ताकि 2022 के विधानसभा चुनाव में वोटरों को जोड़ा सके।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल भी वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल, सिंचाई मंत्री धर्मपाल व बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जयसवाल को हटा दिया था। राजेश अग्रवाल इसी साल भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया गया है। इससे पहले साल 2019 अगस्त में मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल विस्तार किया था। इसमें 18 नए मंत्री शामिल किए गए थे जबकि पांच मंत्रियों को प्रोन्नत किया गया था।