योगेश यादव
यह लिखना शुरू करने तक दुनिया भर में 2344800 लोगो को कोरोना वायरस का संक्रमण हो चुका है और कुल 161900 लोगो की मृत्यु इस बीमारी से हो चुकी है.भारत में अब तक 16365 लोगो में यह संक्रमण पाया जा चुका है और कुल 521 लोगों की मृत्यु इससे हो चुकी है.
जनसख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 14 लोगो की मृत्यु होने के साथ 1 हजार से ज्यादा लोगो में यह संक्रमण पाया जा चुका है. अचानक आये इस संकट से पूरी दुनिया अवाक् है और जहा की तहां ठहर चुकी है. लोग घरों में बंद है और इन्तजार कर रहे है कि कब इस संकट काल से राहत मिले. इस वक़्त हर कोई इससे डरा हुआ है और खुद को लाचार महसूस कर रहा है.
ऐसे में हर कोई अपने आस-पास मौजूद व्यवस्था एवं सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों का साथ दे रहा है. देश के सभी राजनैतिक दल राजनीति छोड़ केवल सरकार का ध्यान उसकी विशेष कमियों की तरफ दिला रहे है और उससे बाहर निकलने की तरकीब भी सुझा रहे है.
उत्तर प्रदेश में भी इसी प्रकार का माहौल है. यहाँ की सरकार भी इस बीमारी से लड़ने के लिए कदम उठा रही है और राज्य में उपलब्ध संसाधनों के साथ इस बीमारी का मुकाबला कर रही है परन्तु रोचक बात यह है की राज्य सरकार जिन संसाधनों एवं व्यवस्थाओं का प्रयोग कर रही है उसमें से अधिकतम चीजों की परिकल्पना एवं निर्माण प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के द्वारा उनके समय में हुआ था जो आज प्रदेश की जनता के काम आ रही है.
अभी इस बात को कहने का उद्देश्य यह कत्तई नहीं है की सरकार के कामो की आलोचना की जाए, लेकिन यह सोचने का समय जरुर है कि वर्तमान की योगी सरकार के 3 साल बीत जाने के बाद भी ऐसी एक भी परियोजना की नीव नहीं रख सकी जिसका प्रयोग इस महामारी के समय प्रमुख रूप से किया जा सके है. यक़ीनन इस दौर में जनता के लिए आज काम आने वाली योजनाओं को शुरू करने वालों को जनता बहुत ज्यादा याद कर रही है.
यह समय इस बीमारी के समय में जनता की मदद के लिए काम कर रहे कर्मचारियों का धन्यवाद कहने का है और साथ ही उन व्यवस्थाओं का निर्माण करने वालों के प्रति भी धन्यवाद का भाव रखना भी जरुरी है जिससे ऐसे लोगो को प्रोत्साहित किया जा सके.
व्यवस्था की रीढ़ बन गयी है डायल 112
इस वैश्विक महामारी के समय में इससे लड़ने के सर्वाधिक काम आने वाली योजना के रूप में जाने जाने वाली 112 योजना है जो कानून व्यवस्था बरक़रार रखने के साथ लोगों को उनकी आवश्यक वस्तुएं भी प्रदान कर रही है.
कुछ महीनों पूर्व तक इस योजना का नाम डायल 100 था जिसकी शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में हुई थी जिस योजना के तहत पुलिस कर्मिओं को आधुनिक गाड़ियाँ प्रदान की गई थी और वह तकनीक के द्वारा अखिलेश यादव के पुलिस के आधुनिकीकरण के प्रोजेक्ट के तहत ही लखनऊ में बनाये गए डायल 100 भवन में से जुडी हुई है.
योगी सरकार ने उस योजना का नाम बदलकर 112 कर दिया जिसे अखिलेश यादव ने डायल 100 के रूप में शुरू किया शुरू किया था. यह योजना आधुनितम है और दुनिया भर में महज कुछ ही जगहों पर लागू है.
डायल 102 और 108 एम्बुलेंस सेवा
इस समय में प्रदेश के जनता के काम आने वाली दूसरी योजना है एम्बुलेंस सेवा योजना जो 102 और 108 नंबर डायल करने पर आती है और लोगो बीमारी और चोट लगने की दशा में अस्पताल तक पहुचाती है.
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इस संकट के समय में भी यह योजना अपना काम बखूबी कर रही है और लोगो के बहुत ज्यादा काम आ रही है क्योंकि लाकडाउन के कारण निजी वाहन से यात्रा कर पाना संभव नहीं है. ऐसे में प्रसव सम्बन्धी कार्यों से ले कर कोरोना संक्रमित लोगो को अस्पताल पहुँचाने का काम भी इसी सेवा के जरिये चल रहा है.
उच्चीकृत जिला अस्पताल
अपनी सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिला अस्पतालों का उच्चीकरण करने की परियोजना चलाई और सभी जिला अस्पतालों को उच्चीकृत करते हुए सेवाओं की शुरुआत हुई थी और कर्मचारियों की भी तैनाती की गई थी. इन अस्पतालों के भवनों से ले कर वहां की आधारभूत जरूरतों को सुदृढ़ किया गया था.
आज उन्ही अस्पतालों का प्रयोग लेवल-1 कोविड अस्पताल के रुप में किया जा रहा है.
विद्यार्थियों को लैपटाप
लाकडाउन होने के कारण जब ऑनलाइन पढाई की बात कर होने लगी है तो जिन बच्चों के पास लैपटॉप या फोन नहीं है तो उनके साथ प्रदेश के लोगो को सबसे ज्यादा अगर किसी की आ रही है तो अखिलेश यादव की आ रही है क्योंकि उन्होंने प्रदेश के 16 लाख से ज्यादा बच्चों को लैपटॉप दिया था तथा अगली बार सरकार में आने पर स्मार्ट फोन भी देने का वादा किया था.
इन 16 लाख लैपटाप धारको के परिवारों के बच्चो के लिए भी आज इसकी उपयोगिता बढ़ी है. इन लैपटाप के जरिये विद्यार्थियों को तकनीकी के साथ उसे प्रोग करने का एक पूरा तंत्र बन गया था. ये लैपटाप उन बच्चो के पास गए थे जो सरकारी स्कूलों में पढ़ते थे और उनमे से 90 प्रतिशत परिवारों की आर्थिक स्थिति लैपटाप खरीदने की नहीं थी. 3 साल बाद भी ये लैपटाप अभी भी 16 लाख परिवारों के लिए कारगर हैं.
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सरकारों का काम होता है, वर्तमान को सुगम बनाते हुए भविष्य के लिए आधारभूत संरचनाएं बनाना . अखिलेश यादव ने ठीक यही किया था. इसलिए अब जब समाज संकट में है और इस संकट काल में अखिलेश सरकार की परियोजनाएं सबसे ज्यादा काम में आ रही हैं तो उन कामो को याद करना स्वाभाविक ही है.
(लेखक समाजवादी पार्टी के नेता हैं. यह उनके व्यक्तिगत विचार हैं)