जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जीत के बाद ये यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। दरअसल, भाजपा में योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर उतारा जाता रहा है। ऐसे में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान भी उनकी मांग काफी ज्यादा थी।
खासकर दक्षिण कर्नाटक के वोकालिंगा समुदाय के बीच योगी आदित्यनाथ खासे पॉपुलर हैं। इसका कारण वोकालिंगा समुदाय का नाथ संप्रदाय की परंपराओं को मानना जाता रहा है। हालांकि, उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनावों में व्यस्तता के कारण सीएम योगी आदित्यनाथ केवल दो दिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरे।
9 विधानसभा को कवर किया, लेकिन स्टार प्रचारक यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ सिर्फ दो सीटों पर उम्मीदवारों को जीत दिलाने में कामयाब हो पाए। 7 सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की इस बड़ी हार के पीछे का कारण उत्तर बनाम दक्षिण किया जाना माना जा रहा है।
कांग्रेस का कार्ड कर गया काम
कांग्रेस ने अध्यक्ष पद पर कर्नाटक के दिग्गज मल्लिकार्जुन खरगे को बैठाया। चुनाव की बागडोर डीके शिवकुमार और पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने थाम रखी थी। वहीं, भाजपा के तमाम स्टार प्रचारक उत्तर भारत से थे। उम्र के तकाजा ने प्रदेश भाजपा के शीर्ष चेहरे बीएस येदियुरप्पा को किनारे किया। चुनावी मैदान में उनकी उदासीनता और इस स्तर का कोई अन्य लिंगायत नेता का चुनावी प्रचार मैदान में न उतरना भी भाजपा की हार का कारण रहा।
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वहीं थोड़ी बहुत कसर जो बची थी उसे जगदीश शेट्टार के भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने के बाद पूरी हो गई। भले ही वह चुनाव नहीं जीत पाए, लेकिन पार्टी को बड़ा नुकसान कर गए। योगी का बुलडोजर मॉडल यूपी के नगर निकाय चुनाव में खूब चमका, लेकिन कर्नाटक में इसकी चमक फीकी गई।
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9 स्थानों पर रैली, रोड शो
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कर्नाटक चुनाव में मांड्या से अपने प्रचार अभियान का आगाज किया था। यहां वोक्कालिंगा समुदाय अधिक संख्या में हैं। गोरखनाथ मंदिर और मंड्या में आदिचुंचनागिरि मठ को मानने वालों में काफी समानता दिखती है। वोक्कालिंगा समुदाय से आने वाले लोग नाथ पंथ की परंपराओं को भी मानते हैं। हालांकि, इन तमाम समानताओं के बाद भी योगी उस स्तर पर सफल नहीं रहे।