जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. योगी आदित्यनाथ ने चुनाव से ठीक पहले अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर एक तरफ अपनी सोशल इंजीनियरिंग का सफल प्रदर्शन किया तो दूसरी तरफ ए.के.शर्मा और संजय निषाद को तमाम चर्चाओं के बावजूद शामिल नहीं किया. यह माना जा रहा था कि चुनाव से पहले बहुत संभव है कि ब्राह्मण चेहरे के रूप में बीजेपी के कद्दावर नेता लक्ष्मी शंकर वाजपेयी को भी शामिल कर लिया जाए लेकिन सारे कयास धरे के धरे रह गए और योगी आदित्यनाथ ने यह साबित कर दिया कि यूपी में बीजेपी मतलब योगी है.
छह महीने पहले योगी आदित्यनाथ पर ए.के.शर्मा को मंत्री बनाने को लेकर बड़ा दबाव था. कहा तो यहाँ तक जा रहा था कि शर्मा डिप्टी सीएम बनेंगे और सबसे प्रभावशाली डिप्टी सीएम होंगे लेकिन योगी आदित्यनाथ ने शर्मा को डिप्टी सीएम तो दूर की बात मंत्रिमंडल में भी शामिल नहीं किया. बाद में उन्हें बीजेपी में राज्य का उपाध्यक्ष बना दिया गया.
इस बार कैबिनेट विस्तार की बात चल रही थी तो संजय निषाद को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा ज़ोरों पर थी. संजय निषाद को बीजेपी एमएलसी बना रही है. संजय निषाद को एमएलसी बनाये जाने की बात तय होते ही यह कयास लगाए जाने लगे थे कि वह भी मंत्री बनेंगे. वह लखीमपुर खीरी में हैं. उन्हें किसी ने फोन कर विस्तार की जानकारी तक नहीं दी.
योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद कई मौकों पर यह साबित किया है कि यूपी के सुप्रीमो वही हैं और यही बात आज उन्होंने मंत्रीमंडल विस्तार के साथ ही फिर से साबित कर दी.
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