जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद के महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या के दिन (29 जनवरी) हुई भगदड़ और इसके परिणामस्वरूप हुई मौतों को दबाने की बात स्वीकार की है। इस हादसे में कम से कम 30 लोगों की जान गई थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार (3 मार्च) को लखनऊ में भारतीय प्रबंधन संस्थान और भारतीय डाक सेवा के अधिकारियों के कार्यक्रम ‘महाकुंभ के माध्यम से राष्ट्र निर्माण’ को संबोधित करते हुए इस बात का खुलासा किया। आदित्यनाथ ने बताया कि उन्होंने मौनी अमावस्या के स्नान से पहले 29 जनवरी की सुबह हुई भगदड़ को इस वजह से उजागर नहीं होने दिया, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि इससे लोगों में डर और दहशत फैल जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय कुंभ मेला क्षेत्र और इलाहाबाद शहर में लगभग आठ करोड़ लोग मौजूद थे, और सरकार ने हालात को काबू में करने के लिए तेजी से काम किया। आदित्यनाथ ने कहा, “घटना के बाद घबराहट न हो, इसीलिए हम घायल लोगों को अस्पताल ले गए। कुछ की दुखद मृत्यु हो गई, लेकिन हमने इसे उजागर नहीं किया ताकि किसी तरह की घबराहट की स्थिति पैदा न हो।”
योगी आदित्यनाथ ने यह भी स्वीकार किया कि मौनी अमावस्या के दिन संगम तट के पास हुई भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी, और उसी दिन मेले के एक अन्य क्षेत्र में भी इसी तरह की एक घटना में सात और लोग मारे गए थे। उन्होंने बताया कि भगदड़ 29 जनवरी की रात 1:15-1:30 बजे के बीच हुई थी और इस दौरान भीड़ का दबाव बहुत अधिक था। हालांकि, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद, घटना के बाद 15 मिनट के भीतर एक ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बना दिया गया और 13 हिंदू अखाड़ों का अमृत स्नान स्थगित कर दिया गया।
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आदित्यनाथ ने बताया कि इस हादसे में कुल 36 लोग घायल हुए थे, जिनमें से 35 को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है, जबकि एक का अभी भी इलाज चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इलाहाबाद के अन्य स्थानों पर भी दबाव बिंदु बन रहे थे, जिनमें 30-35 लोग घायल हुए थे।
मुख्यमंत्री ने इस घटना को लेकर स्पष्ट किया कि 29 जनवरी को संगम तट पर मची भगदड़ के कारण 30 लोगों की मृत्यु हुई और इन 30 मृतकों में से 29 की पहचान हो चुकी है, जबकि एक अज्ञात पीड़िता का डीएनए संरक्षित कर उनका अंतिम संस्कार किया गया।