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बुलंदशहर हिंसा के मुख्य आरोपी को मिली जमानत

न्यूज डेस्क

तीन दिसंबर 2018 को बुलंदशहर जल रहा था। यहां के स्याना इलाके में एक पुलिस अधिकारी सुबोध कुमार की हत्या कर दी गई थी। बुलंदशहर की आंच राजधानी लखनऊ तक पहुंची थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बुलंदशहर की घटना को गहरी साजिश बताया था लेकिन बाद में इसे दुर्घटना कहा था।

फिलहाल बुलंदशहर हिंसा का मुख्य आरोपी योगेश राज को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को जमानत दे दी। योगेश राज बजरंग दल का कार्यकर्ता है। उस पर दंगा और हिंसा फैलाने का आरोप लगा था। आरोपी योगेश को धारा 124 ए (राजद्रोह) मामले में जमानत मिली है।

इससे पहले उसे 120 बी (साजिश) और 147 (दंगा) व अन्य आरोपों में जमानत मिल चुकी थी। मालूम हो कि इस मामले की जांच उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम कर रही है।

इस मामले के सात आरोपियों को पिछले महीने 24 अगस्त को हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था। सातों आरोपियों के नाम राजीव, रोहित, राघव, शिखर अग्रवाल, जितेंद्र मलिक, राजकुमार, सौरव हैं।

सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में भाजपा के स्थानीय युवा मोर्चा के प्रमुख शिखर अग्रवाल और अन्य आरोपियों का फूल और माला पहनाकर स्वागत किया गया था और भीड़ ने जय श्री राम के नारे लगाए। वीडियो में जेल परिसर छोड़ते हुए आरोपियों को भीड़ गले भी लगा रही थी।

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बीते 2 मार्च को 38 आरोपियों के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र में पांच लोगों के खिलाफ इंस्पेक्टर की हत्या का आरोप है।

आरोपी योगेश राज और शिखर अग्रवाल ने पुलिस से छिपने के दौरान एक वीडियो बनाकर डाला था, जिसमें उन्होंने खुद को बेगुनाह बताते हुए प्रशासन पर फंसाने का आरोप लगाया था। वहीं, करीब एक महीने तक छिपने के बाद इस साल 3 जनवरी को योगेश राज को गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस ने अपने आरोप पत्र में कहा था कि योगेश और अन्य प्रमुख आरोपियों ने 3 दिसंबर की सुबह कई फोन कॉल का आदान-प्रदान किया था, जिसके कारण कथित गौ हत्या पर हिंसा हुई थी। पुलिस ने माना था कि योगेश राज ने भीड़ को गौहत्या के विरोध में इकट्ठा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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क्या था मामला

मालूम हो कि महाव गांव के जंगल में तीन दिसंबर 2018 को गोकशी की घटना की जानकारी मिली थी। पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो वहां काफी भीड़ जमा थी। पुलिस ने वहां लोगों को समझाने-बुझाने की कोशिश की।

50-60 लोगों की भीड़ को स्याना के प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह ने भी काफी मनाने की कोशिश की, लेकिन कोई खास कामयाबी नहीं मिली। उग्र भीड़ ने पुलिस पर पथराव भी किया था और पुलिस के कई वाहन फूंक दिए। साथ ही चिंगरावठी पुलिस चौकी में आग लगा दी। इस हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध समेत दो अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

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एसआईटी ने इस मामले में घटना के 55 से अधिक लोगों की गवाही और अपराध को विशेषज्ञों द्वारा दोबारा रिक्रिएट करने वाली रिपोर्ट पेश की थी। एसआईटी ने 103 पेज की चार्जशीट और 3000 पेज से अधिक की डायरी बुलंदशहर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष जमा कराई थी।

वहीं, मुख्य आरोपी दंगों से संबद्ध आईपीसी धाराओं के लिए मामला दर्ज किया गया था जबकि प्रशांत नट सहित चार अन्य पर सुबोध कुमार सिंह की हत्या का मामला दर्ज किया गया। चार्जशीट के मुताबिक, नट ने अपने लाइसेंसी रिवॉल्वर से सुबोध पर गोली चलाने से पहले उस पर कुल्हाड़ी से हमला किया था।

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