न्यूज डेस्क
सत्ता क्या न कराए। सत्ता की कुर्सी अपनों को दूर और गैरों को गले लगाने पर भी मजबूर कर देती है। ऐसा ही कुछ कर्नाटक की सियासत में हुआ है। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने आज अपने कैबिनेट का विस्तार किया, जिसमें वर्षों से वफादार रहे भाजपाइयों को शामिल न कर सियासी दागियों को जगह दी गई।
येदियुरप्पा ने जिन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया है उनमें उनमें एससी सोमशेखर, रमेश लक्ष्मण राव, आनंद सिंह, के सुधारकर, एचए बसावरजा, अराबली हेब्बर शिवराम, बसवानगोडा पाटिल, के गोपालैया, नारायण गोड्डा और श्रीमंत बालासाहिब पाटिल शामिल हैं।
दरअसल ये वो विधायक हैं, जो कांग्रेस और जेडीएस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इन्हीं विधायकों की वजह से कुमारस्वामी सरकार गिरी और येदियुरप्पा सूबे की सत्ता पर काबिज हुए।
दरअसल ये सभी विधायक मंत्री बनने की लालच में ही येदियुरप्पा के साथ आने के लिए राजी हुए थे। येदियुरप्पा ने इस मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल होने वाले विधायकों को लेकर पहले ही संकेत दे दिया था कि कांग्रेस-जनता दल (सेकुलर) से टूटने के बाद भाजपा के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचे 11 विधायकों में 10 को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा।
दरअसल कर्नाटक में कैबिनेट विस्तार की कवायद पिछले कई दिनों से चल रही थी लेकिन कई विवादों के वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा था। पिछले दिनों सीएम बीएस येदियुरप्पा ने कैबिनेट विस्तार को लेकर गृहमंत्री अमित शाह से लंबी बातचीत भी की थी। वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम की 50वीं सालाना बैठक में हिस्सा लेने के लिए दावोस रवाना होने से पहले सीएम येदियुरप्पा ने कैबिनेट विस्तार की जानकारी दी थी।
उस समय कहा गया था कि मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के दावोस से लौटते ही कैबिनेट विस्तार हो जाएगा, लेकिन एक दिन पहले बुधवार को सीएम ने स्पष्ट किया कि छह फरवरी को विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलायी जाएगी।
कर्नाटक के सीएम येदियुरप्पा ने 10 नये मंत्रियों को शामिल करने के साथ ही छह माह पुराने अपने मंत्रिमंडल का बृहस्पतिवार को विस्तार किया। मंत्रियों ने राज भवन में सादे समारोह में शपथ ली। राज्यपाल वजुभाई वाला ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
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