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नेताओं के लिए काल बना 2020

जुबिली स्पेशल डेस्क

साल 2020 खत्म होने जा रहा है लेकिन ये साल बेहद बुरा साबित हुआ है। कोरोना ने लोगों की जिंदगी तबाह कर दी है। आलम तो यह है कि कोरोना अब भी जारी है और इसका कहर अब भी लोगों पर टूट रहा है।

कोरोना ने मार्च में भारत में दस्तक दी थी और साल खत्म होते कई लोगों को जिंदगी को निगल गया। कोरोना ने हर सेक्टर को प्रभावित किया है। लोगों का रोजगार खत्म हो गया है।

इतना ही नहीं कोरोना की वजह से देश की आर्थिक स्थिति भी कमजोर पड़ी है। लोगों को दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है।

कोरोना ने इस साल कई बड़ी-बड़ी हस्तियों की जान भी ली है। बॉलीवुड से लेकर राजनीतिक दलों पर भी कोरोना का कहर टूटा है।

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देश के कई बड़े नेताओं ने इस साल दुनिया छोड़ी और अब केवल उनकी यादे बस रह गई है। देश में साल 2020 में कई बड़ी हस्तियों की मौत भी हुईं हैं।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी लेकर मोती लाल बोरा ने इस साल दुनिया को अलविदा कहा है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 की उम्र में 31 अगस्त 2020 को अस्पताल में निधन हो गया था।

प्रणव मुखर्जी 2012 से 2017 के बीच तक देश के राष्ट्रपति थे। दिल्ली के आर्मी आरआर अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। इसके साथ ही प्रणव मुखर्जी ने 84 साल की उम्र में अंतिम सांस ली है। प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति बनने से पहले कांग्रेस के बड़े नेता थे।

71 साल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल 25 नवंबर को निधन हो गया। पटेल 10 अक्टूबर को कोरोना वायरस संक्रमण से पॉजिटिव निकले थे।

अहमद पटेल तीन बार लोकसभा के सदस्य रहे हैं और 5 बार राज्यसभा के सांसद रहे हैं। अगस्त 2018 में उन्हें कांग्रेस पार्टी का कोषाध्याक्ष नियुक्त किया गया था।

पहली बार 1977 में 26 साल की उम्र में भरूच से लोकसभा का चुनाव जीतकर अहमद पटेल संसद पहुंचे थे। हमेशा पर्दे के पीछे से राजनीति करने वाले अहमद पटेल कांग्रेस परिवार के विश्वस्त नेताओं में गिने जाते थे। वे 1993 से राज्यसभा सांसद थे। अहमद पटेल को राजनीतिक महकमे में कांग्रेस के चाणक्य के रूप में माना जाता था।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का 21 दिसम्बर को दिल्ली में निधन हो गया था। मोतीलाल वोरा पत्रकारिता से राजनीति में आये थे, इसी वजह से पत्रकार किसी भी मुद्दे पर उन्हें बोल्ड नहीं कर पाए। वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे लेकिन सच पूछा जाए तो वह देश के नेता थे।

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का बीते 8 अक्टूबर को दिल्ली में निधन हो गया था। रामविलास पासवान का ऐसे समय में निधन हुआ था जब बिहार का चुनाव हो रहा था।

बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान की क्या हैसियत रही है यह किसी से छिपी नहीं रही। उनकी गिनती बिहार के कद्दावर नेताओं में होती रही है। बिहार की राजनीति में उनकी 51 सालों से दखल थी।

एनडीए की अटल बिहारी सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह 82 का 27 सितंबर 2020 को दिल्ली के आर्मी अस्पताल में निधन हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में उन्होंने रक्षा, विदेश और वित्त जैसे मंत्रालयों का कार्यभार संभाला।

बीजेपी के कद्दावर नेता में से एक जसवंत सिंह 1980 में वह पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए। इसके बाद उन्हें 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्तमंत्री चुना गया।

लेकिन ये सरकार जयादा दिन नहीं चल सकी और जसवंत सिंह सिर्फ 15 दिन ही वित्तमंत्री रहे और सरकार गिर गई। दो साल बाद 1998 में दोबारा वाजपेयी की सरकार बनने पर उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया।

मध्य प्रदेश के राज्यपाल 85 साल के लालजी टंडन इस साल 21 जुलाई 2020 में निधन हो गया। 85 वर्षीय लालजी टंडन अगस्त 2018 से जुलाई 2019 के बीच बिहार के गवर्नर भी रहे।

अटल के साथ उनका करीब 5 दशकों का साथ रहा। इतना लंबा साथ अटल का शायद ही किसी और राजनेता के साथ रहा हो।

यही वजह रही कि अटल बिहारी वाजपेयी के बाद उनकी राजनीतिक विरासत को लखनऊ में टंडन ने ही संभाला था और सांसद चुने गए थे।

इसके बाद लालजी 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। बसपा सुप्रीमो मायावती उन्हें अपने बड़े भाई की तरह मानती थीं और राखी भी बांधा करती थीं। 1997 में वह प्रदेश के नगर विकास मंत्री रहे।

तरुण गोगोई का 86 साल की उम्र में 23 नंवबर 2020 को निधन हो गया। 11 अक्टूबर 1934 को तरुण गोगोई 1971 में पहली बार लोकसभा सांसद बने थे।

इसके साथ ही गोगोई 1985 से 1990 तक कांग्रेस महासचिव रहे। नरसिंहराव सरकार में राज्यमंत्री रहे। 6 बार सांसद रह चुके गोगोई ने असम में कांग्रेस की तीन बार सरकार बनावाई। वे 2001 से 2016 तक असम के मुख्यमंत्री रहे।

उद्योगपति से राजनेता बने अमर सिंह का निधन बीते 1 अगस्त को हो गया था। अमर सिंह, समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव रहे हैं साथ ही राज्यसभा सांसद भी रहे हैं।

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के वो काफी करीब रहे। अमर सिंह एक समय समाजवादी पार्टी की नंबर दो पोजिशन के नेता भी रहे थे। हालांकि साल 2010 में पार्टी के सभी पोस्ट से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि बाद में उन्हें पार्टी से भी बर्खास्त कर दिया गया।

अमर सिंह ने ख़ुद की राजनीतिक पार्टी भी बनाई लेकिन राष्ट्रीय लोक मंच के उम्मीदवारों की 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान जमानत जब्त हो गई।

रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी 23 सितंबर 2020 को हो गया था.केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी इस साल 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते निधन हो गया था. कर्नाटक की बेलगाम लोकसभा क्षेत्र से से चार बार लागातार 2004, 2009, 2014 और 2019 में सांसद चुने गए।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी का इस साल 2020 में 91 साल की उम्र में निधन हो गया. 1962 से लगातार 7 विधानसभा चुनाव बागली सीट से जीते. इससे पहले वह 1954 से 1960 तक देवास जिले में जनसंघ के मंत्री रहे।

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