Saturday - 2 November 2024 - 10:47 PM

यक्ष-युधिष्ठिर संवाद : इंटरव्यू का फर्क

पंकज मिश्र

यक्ष – सबकी पीड़ा एक है तो सबकी राष्ट्रीयताएँ अलग अलग क्यों है ?

 युधिष्ठिर – क्योंकि राष्ट्रीयताएँ सिर्फ हितों और संसाधनों का बंटवारा रोकने की व्यवस्थाएं है …..पीड़ा साझा करने की नहीं …

यक्ष – आपदाएं , किस वर्ग का असली चेहरा उजागर करती है ?

युधिष्ठिर – व्यापारी वर्ग का … किसी भी तरह की इमरजेंसी , इनकी कमाई का सबसे अनुकूल अवसर होती है |

यक्ष – क्या तुम मेरे ऊपर व्यंग्य कर रहे हो ?

युधिष्ठिर – नहीं यक्ष , मैं तो अपने स्थिति के ऊपर रो रहा हूँ .

यक्ष – लालकिले को तो डालमिया ने पहले ही अडॉप्ट कर लिया , ऐसे ही हर चीज कोई बड़ा आदमी अडॉप्ट करता जा रहा है , गांव के गांव भी अडॉप्ट होते जा रहे है ? ये सब क्या है राजन |

युधिष्ठिर – ये सब बड़ा शुभ है यक्ष | ये बता रहा है कि , पूरा ही देश अनाथ है और देश के बड़े बड़े लोगों से यह दुख देखा नही जा रहा तो , जिससे जितना हो पा रहा है उतना अडॉप्ट  कर , ऐसी त्रासद स्तिथि से देश को उबार रहा है ….

यक्ष – असली इंटरव्यू और प्रायोजित इंटरव्यू में क्या फर्क होता है ?

युधिष्ठिर – असली इंटरव्यू में प्यास बहुत लगती है और प्रायोजित इंटरव्यू में ठहाके ….

यक्ष – आआएँ !

(पंकज मिश्र स्वतंत्र व्यंग लेखक हैं )

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