Saturday - 26 October 2024 - 5:29 PM

‘मुख्य चुनाव आयुक्त को बैठक के लिए बुलाना गलत, पीएम भी नहीं बुला सकते’

जुबिली न्यूज डेस्क

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त की बैठक को पूर्व CECs ने भी गलत बताया है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की बैठक और आदेश से चुनाव आयोग की छवि धूमिल हो सकती है।

कुछ दिन पहले ही चुनाव आयोग को कानून मंत्रालय के अधिकारी की तरफ से एक पत्र मिला जिसमें कह गया था कि पीएम के प्रधान सचिव पीके मिश्रा एक बैठक करने वाले हैं जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त का मौजूद रहना भी जरूरी है।

कानून मंत्रालय से लेटर जारी होने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) सुशील चंद्र और दो अन्य चुनाव आयुक्त, राजीव कुमार व अनूप चंद्र को पीएमओ के अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल होना पड़ा।

सूत्रों के मुताबिक सीईसी को इस तरह बैठक में बुलाना पसंद नहीं आया था फिर भी ये तीनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग में शामिल हुए।

चुनाव आयोग के अधिकारियों ने पत्र की भाषा पर भी ऐतराज जताया था और कहा था कि यह किसी ‘समन’  की तरह लगती है।

इस तरह सीईसी को बैठक में बुलाने पर कई पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों की प्रतिक्रिया आई है। वहीं ‘द इंडियन एक्सप्रेस’  की रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया गया था कि चीफ इलेक्शन कमिश्नर के साथ दो अन्य सहयोगियों को पीएमओ की तरफ से बैठक के लिए बुलाया गया।

वरिष्ठ अधिकारियों ने यह भी बताया था कि सीईसी सुशील चंद्र इस तरह बुलाए जाने से खुश नहीं थे। बावजूद इसके 16 नवंबर को एक ऑनलाइन मीटिंग हुई, जिसमें सुशील चंद्रा और दो अन्य सहयोगी भी पीके मिश्रा के साथ अनौपचारिक बातचीत में शामिल हुए।

वहीं सरकार की तरफ से इस तरह के पत्र और सीईसी के साथ बैठक को गलत बताते हुए पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा, ‘यह बर्दाश्त करने वाली बात नहीं है। क्या अगर न्यायिक सुधार को लेकर कोई चर्चा करनी होगी तो पीएम सीधे CJI को ही बैठक में बुला लेंगे? पीएम भी इस तरह से मुख्य चुनाव आयुक्त को किसी बैठक में नहीं बुला सकते। यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।’

यह भी पढ़ें :  गुरुग्राम में थम नहीं रहा खुले में नमाज का विवाद, जानिए अब क्या हुआ?

यह भी पढ़ें :  ओमिक्रॉन के खतरे के बीच दिल्ली में खुले सभी सरकारी स्कूल

यह भी पढ़ें :  बांग्लादेश में ऐतिहासिक मंदिर का राष्ट्रपति कोविंद ने किया उद्घाटन

यह भी पढ़ें :   ‘स्किन-टू-स्किन’ टच का विवादित फैसला देने वाली जज का डिमोशन

एसवाई कुरैशी ने क्या कहा?

एसवाई कुरैशी जुलाई 2010 से जून 2012 तक मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर थे। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘इस तरह की बैठक से संदेह पैदा होता है। हमारे अधिकारी सारी बातें जानते हैं। वही सारे चुनावी सुधारों को लागू करते हैं। इसके लिए अधिकारियों को ट्रेनिंग भी दी जाती है। इसलिए बैठक में अधिकारियों को बुलाना चाहिए न की सीधे सीईसी को बुलावा भेज देना चाहिए।’

फरवरी 2004 से जून 2005 तक सीईसी के पद पर रहे टीएस कृष्ण मूर्ति ने इस मामले में कहा, ‘हम सब यही कहते हैं कि संवैधानिक गरिमा को ध्यान में रखते हुए सीईसी को सरकार के साथ ऐसी किसी बैठक में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। अगर चर्चा की जरूरत पड़े तो सरकार को अपनी बातें लिखित में चुनाव आयोग को भेजनी चाहिए और लिखित में चुनाव आयुक्त जवाब भी दे सकते हैं।’

यह भी पढ़ें :  इस अमेरिकी रिपोर्ट में आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की खुली पोल

यह भी पढ़ें :  पाक को झटका, वन डे सिरीज खेले बिना ही वापस लौटेगी वेस्ट इंडीज क्रिकेट टीम

वहीं चुनाव आयोग के 2018 में मुखिया रहे ओ रावत ने कहा, ‘जब मैं उस पद पर था तो ऐसा कभी नहीं हुआ। किसी मंत्रालय ने इस तरह से बैठक में शामिल होने के लिए पत्र नहीं लिखा। किसी भी सरकारी अधिकारी की अध्यक्षता में ऐसी कोई बैठक नहीं हुई जिसमें सीईसी को भी शामिल होना पड़ा हो। तीनों आयुक्तों ने औपचारिक बैठक में शामिल न होकर संवैधानिक गरिमा का ध्यान रखा है, लेकिन अलग से बातचीत करना भी दिखाता है कि वे किसी को नाराज नहीं करना चाहते थे।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com