न्यूज डेस्क
कई बार कहानियों में सुना है और फिल्मों में देखा है कि जलती चिता से मुर्दा उठकर भागने लगता है और वहां मौजूद लोग भूत-भूत चिल्लाते हैं। यह देखकर हम हंसते-हंसते लोटपोट हो जाते हैं। लेकिन असल जिंदगी में ऐसा कुछ हो तो हंसी नहीं आती बल्कि जेहन में कई सवाल उठने लगता है।
राजधानी लखनऊ में भी ऐसा ही एक वाकया हुआ है जिसने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया। इस वाकये ने मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर दिया है। इस वाकये ने चिकित्सकीय पेशे की साख पर बड़ा सवाल खड़ा किया है।
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20 वर्षीय फुरकान के परिजन उसे दफनाने की तैयारी कर रहे थे। कब्र खुद चुकी थी और दफनाए जाने से ठीक पहले फुरकान के शरीर में हरकत हुई। परिजनों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं था। हैरान परिजल उसे लेकर अस्पताल ले गए जहां उसे वेंटीलेटर पर रखा गया है।
क्या था मामला
फुरकान 21 जून को एक दुर्घटना में घायल हो गया था। उसे लखनऊ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 2 जुलाई को अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर एंबुलेंस से उसके शव को घर पुहंचा दिया।
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फुरकान का बड़ा भाई मोहम्मद इरफान ने बताया, “फुरकान की मौत से हम लोग बेहद दुखी थे। हम लोग उसे दफनाने की तैयारी कर रहे थे, तभी किसी ने उसके शरीर में हरकत देखी। हम फौरन उसे राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने कहा कि वह जिंदा है और उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रख दिया।”
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इरफान ने बताया कि जिस अस्पताल में घायल फुरकान को एडमिट कराया था वहां 7 लाख रुपये का भुगतान किया था। जब हमने अस्पताल प्रशासन को बताया कि अभी हमारे पास पैसे नहीं हैं तो उन्होंने दो जुलाई को फुरकान को मृत घोषित कर दिया।
फुरकान का इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना है कि मरीज की हालत गंभीर है लेकिन वह निश्चित रूप से ब्रेन डेड नहीं है। उसकी नाड़ी, ब्लड प्रेशर और दिमाग काम कर रहा है। उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है।
वहीं इस मामले में लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) नरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि हमने मामले का संज्ञान लिया है और इसकी पूरी जांच की जाएगी।