Saturday - 2 November 2024 - 11:00 PM

वाह रे नीतीश सरकार! बच्चों के मरने का विरोध भी न करें

न्यूज डेस्क

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इतिहास पढ़ने की जरूरत है। इतिहास गवाह है कि जिस सरकार ने भी तानाशाही का रवैया अपनाया है उसे मुंह की खानी पड़ी है। कहीं ऐसा न हो कि आने वाले चुनावों में नीतीश सरकार के साथ भी ऐसा ही कुछ हो। जिस तरह से नीतीश सरकार तानाशाही रवैया दिखा रही है वह न तो लोकतंत्र के लिए ठीक है और न ही उनके सरकार के लिए।

बिहार में इंसेफेलाइटिस से डेढ़ सौ ज्यादा मामूमों ने दम तोड़ दिया और सरकार संवदेना व्यक्त करने के बजाय उन्हें और प्रताड़ित करने पर जुटी है। इंसेफेलाइटिस के मुद्दे पर घिरी नीतीश सरकार अपनी कमियां दूर करने के बजाए बेबश लोगों को निशाना बना रही है।

लोकतंत्र में विरोध जायज है। हमारे देश में हमेशा से गलत का विरोध हुआ है, लेकिन नीतीश कुमार शायद यह भूल गए हैं, तभी तो अपना विरोध बर्दाश्त नहीं कर पाये।

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बिहार के वैशाली जिले में स्थित हरिवंशपुर में चमकी बुखार और पानी की सप्लाई को लेकर प्रदर्शन करने वाले 39 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया है। जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है-

‘उनके रिश्तेदारों का कहना है कि हमारे बच्चे मर गए. हमने सड़कों का घेराव किया लेकिन हमारे खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कर लिया गया। जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया वे गांव छोड़कर चले गए। वे अपने घरों में एकमात्र कमाने वाले थे।’

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 18 जून को दिमागी बुखार के मरीजों का हाल जानने के लिए मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल गए थे। चूंकि सीएम नीतीश कुमार एनएच-22 से होकर जाएंगे इसी को देखते हुए सड़क किनारे स्थित हरिवंशपुर गांव के लोगों ने उस सड़क का घेराव कर दिया था। गांव वालों ने पीने के पानी, बुखार से इलाज की व्यवस्था की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन किया था।

पुलिस ने सड़क के घेराव के कारण ही 19 नामजद और 20 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। नामजदों में करीब आधे दर्जन वे लोग हैं जिनके बच्चों की मौत बुखार से हुई है।

सुरेश सहनी के दो भतीजों प्रिंस कुमार और छोटू कुमार की आठ जून को इस बीमारी से मौत हो गई थी। पुलिस ने उनके ऊपर भी एफआईआर दर्ज किया है।

सुरेश कहते हैं, ‘हम लोग तो पहले से पीड़ित हैं जबकि पुलिस कहती है कि हमने रोड जाम किया। इसलिए केस किया गया है। हम क्या करें! कोई तो हमें देखने आता नहीं है। हम लोगों ने सोचा कि मुख्यमंत्री इस रास्ते से जाएंगे तो उनको रोककर अपना हाल सुनाएंगे, लेकिन वो हेलिकॉप्टर से गए।’

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पुलिस ने राजेश सहनी, रामदेव सहनी, उमेश मांझी और लल्लू सहनी को नामजद अभियुक्त बनाया है। इनके बच्चों की मौत भी दिमागी बुखार से हुई है। कई लोग पुलिस के डर से गांव के बाहर रह रहे हैं।

सबसे हास्यास्पद मामला यह है कि पुलिस के एफआईआर में 65 वर्षीय एक बुज़ुर्ग शत्रुघ्न सहनी का भी नाम है। शत्रुघ्न सहनी काफी पहले लकवाग्रस्त हो गए थे। इसकी वजह से न तो वो ठीक से चल फिर पाते हैं और न बोल बाते हैं।

दिमागी बुखार में अपने दो बेटों को खोने वाले चतुरी सहनी कहते हैं, “सांसद जी आए तो थे, लेकिन क्या हुआ, पता नहीं.”  चतुरी के दो ही बेटे थे, दोनों नहीं रहे। वो कहते हैं, “एक ही दिन दोनों चले गए। उसी में 95 हजार खर्च हो गया। किसी तरह गांव वालों ने कुछ चंदा करके दे दिया। बाकी कर्ज हो गया है। अब चुकाना है।”

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