जुबिली स्पेशल डेस्क
श्री हरिकोटा (आंध्रप्रदेश)। चांद के रहस्यों को जानने के लिए आखिरकार भारत के कोश्शिें रंग लाने लगी है और इसी के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को अपना नया उपग्रह चंद्रयान-3 धरती के उस कक्षा में पहुंचाने की बड़ी कामयाबी हासिल कर ली, जहां से इस यान ने खोजी उपकरणों के साथ चंद्रमा की ओर अपने सफर को शुरू कर दिया है।
इसके साथ ही भारत अब उस देश में शामिल हो गया है जो चंद्रमा पर खोजी यंत्र उतार चुके हैं। इस तरह से भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस तरह की उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश होगा।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने चंद्रयान-3 को धरती की अंतरणकारी कक्षा में स्थापित करने के अभियान की सफलता की घोषणा की।
इस अंडाकार भू-अंतरणकारी कक्षा में चक्कर लगाते हुए यह यान धरती से 170 किलोमीटर से लेकर 36500 किलोमीटर की दूरी पर परिक्रमा करते हुए चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा और क्रमश: उसकी निकटवर्ती कक्षाओं की ओर बढ़ेगा।
सोमनाथ यह घोषणा करते हुए इतने आह्लादित थे कि उन्हें शब्द नहीं सूझ रहे थे। उन्होंने बस इतना कहा, “ मैं मिशन के सभी अधिकारियों को इस सफलता के लिए धन्यवाद करता हूं। ”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्र सरकार के कई मंत्रियों ने इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसरो के वैज्ञानिकों और तकनीशियनों को बधाई दी है।
राष्ट्रपति ने चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक और उपलब्धि बताया है। उन्होंने इस अभियान में लगी इसरो की टीम और इस काम में निरन्तर लगे सभी लोगों को बधाई दी है और कहा है कि यह अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति करने की देश की अडिग प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने शुक्रवार को अपने तीसरे चंद्र मिशन-‘चंद्रयान-3’ को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया। एलवीएम3-एम4 रॉकेट के माध्यम इसको लॉन्च किया गया।
इस पूरे मिशन पर इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा है कि चंद्रयान-3 को एक अगस्त से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करने की योजना है।
उन्होंने बताया, ‘हमने पहले साल में देखा कि पहले क्या गलती की थी और उसके बाद दूसरे साल में क्या सुधार किया जाए कि ये बेहतर हो। फिर हमने देखा कि और क्या गलती हुई थी क्योंकि कुछ समस्याएं छिपी होती है जो हमने समीक्षा और टेस्ट द्वारा पता लगाया। तीसरे साल हमने सभी टेस्टिंग की और अंतिम साल में हमने अंतिम संयोजन और तैयारी की. मैं इस कार्य के लिए पूरी टीम को बधाई देता हूं।’
इसके बाद 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग किए जाने की योजना है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण पर भारत के वैज्ञानिकों के अथक समर्पण की सराहना की है।
प्रधानमंत्री ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनों के एक ट्वीट को साझा करते हुए ट्वीट किया; “चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा है। यह हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को ऊपर उठाते हुए ऊंची उड़ान भरता है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनकी भावना और प्रतिभा का अभिनंदन करता हूं!