न्यूज डेस्क
स्वीडन की 16 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग चर्चा में है। इस बार वह अपने काम की वजह से नहीं बल्कि एक तस्वीर की वजह से चर्चा में है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि क्या ग्रेटा समय यात्री हैं।
दरअसल सोशल मीडिया पर इन दिनों 121 साल पुरानी तस्वीर वायरल हो रही है। इस तस्वीर को लेकर खूब चुटकुले भी बनाये जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग इस तस्वीर को लेकर तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। इनमें से कईयों ने कहा है कि ग्रेटा थनबर्ग एक समय यात्री हैं और ‘सेव द प्लैनेट’ मिशन पर आई हैं।
दरअसल यह तस्वीर साल 1898 की है। तस्वीर में तीन बच्चे कनाडा की खदान में काम करते दिख रहे हैं। इसमें एक लड़की एक टोपी के साथ दिखाई दे रही है, जिसकी शक्ल 16 साल की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग से बहुत ज्यादा मिलती है।
एक ट्विटर यूजर सायमन बिन्स ने इस तस्वीर पर ट्विटर पर कमेंट किया कि मुझे थ्योरियों के बारे में नहीं पता, लेकिन ग्रेटा निश्चित तौर पर एक समय यात्री है। वास्तविक तस्वीर स्वीडिश-अमेरिकन फोटोग्राफर एरिक हेग ने ली है, जिन्होंने सोने की खुदाई करने वाले अभियानों में भाग लिया और साथ ही रोजमर्रा की तस्वीरें भी लीं। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि वह लड़की स्विडिश समुदाय का हिस्सा रही हो।
यह तस्वीर सोशल मीडिया पर पहली बार 9 नवंबर को सामने आई, जब एक फेसबुक यूजर ने पैरानॉर्मल कम्युनिटी ग्रुप पर तस्वीर पोस्ट की। इस तस्वीर के साथ लिखा गया, ‘120 साल पुरानी तस्वीर में पाई गई ग्रेटा थनबर्ग’।
हालांकि कई लोगों ने इस फोटो में छेड़छाड़ की बात भी कही। एरिक हेग के स्पेशल कलेक्शन की यह तस्वीर अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है।
16 वर्षीय ग्रेटा थुनबर्ग यूरोप में तब मशहूर हुईं जब उन्होंने स्वीडन के आम चुनाव से कुछ हफ्ते पहले स्कूल जाना बंद कर दिया और जलवायु परिवर्तन के असर के बारे में प्रचार करने में जुट गईं। इतना ही नहीं ग्रेटा ने चुनाव के बाद भी हर शुक्रवार को स्कूल नहीं जाने का सिलसिला जारी रखा और फिर उनके साथ हजारों छात्रों ने इसे अपना लिया।
ग्रेटा इसके बाद अब तक पोप से मिली हैं, दावोस में भाषण दिया है और जर्मनी के कोयला विरोधी प्रदर्शनों में शामिल हुई हैं। अब उन्होंने अपने अभियान के लिए स्कूल से एक साल की छुट्टी ले ली है।
अगस्त माह में ग्रेटा चर्चा में आई थी जब वह कार्बन उत्सर्जन को बचाने के लिए विमान से न्यूयॉर्क जाने से मना कर दिया था। वह दो हफ्ते की कठिन यात्रा कर न्यूयार्क पहुंची थी। अटलांटिक पार की यात्रा में उनके पिता भी उनके साथ थे।
थुनबर्ग पर्यावरण के लिए काम करने वाले युवाओं के बीच एक बड़ा प्रतीक बन गई हैं। उन्होंने हर हफ्ते स्वीडन के स्कूल में पर्यावरण के लिए हड़ताल करने का अभियान शुरू किया जो अब दुनिया के 100 शहरों में फैल गया है।
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