Saturday - 26 October 2024 - 2:08 PM

इंग्लैंड की पिच कहीं बिगाड़ न दे ‘विराट सेना’ का खेल

सैय्यद मोहम्मद अब्बास

विश्व कप के लिए टीम इंडिया तैयार है। भारतीय टीम 1983 और 2011 विश्व कप के बाद एक बार फिर विराट कोहली की कप्तानी में विश्व कप पर अपना दावा मजबूत कर रही है। टीम इंडिया का ऐलान कर दिया गया है। टीम के सभी खिलाड़ी अपनी फॉर्म और फिटनेस के लिए आईपीएल खेल रहे हैं लेकिन कुछ खिलाडिय़ों की फिटनेस और फॉर्म सवालों के घेरे में है।

तेज पिच और स्विंग से दो चार होना होगा

विश्व कप चूंकि इंग्लैंड में हो रहा है। ऐसे में एक बार फिर टीम इंडिया को तेज पिच और स्विंग से दो चार होना होगा। आईपीएल में कुछ खिलाडिय़ों की फॉर्म उनके साथ नहीं चल रही है। भुवी जैसे गेंद लय पकडऩे में लगे हुए जबकि माही की फिटनेस एक बार फिर सवालों के घेरे में है। मध्यक्रम बल्लेबाज केदार जाधव का प्रदर्शन आईपीएल में अब तक उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है।

टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ा खतरा रफ्तार

इंग्लैंड में टीम इंडिया के लिए सबसे बड़ा खतरा एक बार फिर रफ्तार हो सकती है। इंग्लैंड की पिच तेज गेंदबाजों के लिए मददगार साबित हो सकती है। ऐसे में भुवी, बुमराह और शमी इसका फायदा उठा सकते हैं लेकिन इसके उलट भारतीय बल्लेबाजों को भी रफ्तार और स्विंग दोनों से पार पाना होगा।

ओपनर बल्लेबाज स्विंग गेंदबाजों के सामने असहाय

ओपनर बल्लेबाज रोहित शर्मा शुरुआती ओवरों में खासकर स्विंग गेंदबाजों के सामने असहाय नजर आते हैं। यही हाल केएल राहुल और केदार जाधव का भी है। इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब न्यूजीलैंड में टीम इंडिया चौथे वन डे में 92 रन के स्कोर पर ढेर हो गई। इतना ही नहीं टीम इंडिया ने इंग्लैंड का दौरा किया था लेकिन उस दौरे में भारतीय बल्लेबाजों को इंग्लैंड की ओवरकास्ट परिस्थितियों में काफी संघर्ष करना पड़ा था।

भारत की तरफ से केवल विराट कोहली ऐसे बल्लेबाज थे जिन्होंने वहां पर इंग्लैंड के गेंदबाजों का डटकर मुकाबला किया था। कोहली को देखकर 90 के दशक सचिन तेंदुलकर की याद आ जाती है। सचिन अकेले अपने कंधे पर टीम इंडिया की जिम्मेदारी को उठाते थे। तेज पिचों पर टीम इंडिया का खेल कोई नया नहीं रहा है।

बल्लेबाजों को ओवरकास्ट परिस्थितियों से जूझना होगा

साल 2013 में इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया भारतीय बल्लेबाज तेज पिच पर ढेर हो गई थी। हालांकि उस समय कोहली रनों का अंबार लगा रहे थे। आलम तो यह रहा था कि इस दौरान 17 टेस्ट खेले गए थे और मध्यक्रम बल्लेबाजों का औसत केवल 28.13 का था जबकि कोहली का 54.48 का शानदार औसत था। कुल मिलाकर भारतीय बल्लेबाजों को ओवरकास्ट परिस्थितियों से जूझना होगा नहीं तो विश्व कप में टीम इंडिया के लिए मुश्किल बढ़ सकती है।

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