- पोलवाल्टर कुलदीप कुमार की सफलता की कहानी है काफी रोचक
- खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश-2022 में पोलवाल्ट में जीता रजत पदक
- उधार के इक्विपमेंट से हासिल की सफलता
- सुविधाओं को देखकर बोले-युवा खिलाडिय़ों को मिल रही है नई पहचान
जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। आज मैं विश्व स्तर का एथलीट बनने की राह पर हूं। मैंने जूनियर स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। पूरे गांव में मेरे व भाईयों प्रदर्शन की चर्चा होती है।
अगर कोई भी आदमी गांव में हमारे घर का पता पूछता है तो फौरन गांव के लोग मेरे घर तक पहुंचा देते हैं। आज मैं सफलता की सीढिय़ां पर चढ़ रहा हूं लेकिन अभी भी मैं उधार के इक्विपमेंट से अभ्यास करता हूं। हालांकि मैं अपने घरवालों का शुक्रिया अदा करूंगा कि मेरे करियर में कभी कोई रूकावट नहीं आने दी।
ये कहानी है कुलदीप कुमार की जिसने पोलवाल्ट में यूथ एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप -2022 में पोलवाल्ट में कांस्य पदक जीता था और अब खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022 के अंतर्गत लखनऊ में चल रहे एथलेटिक्स के मुकाबलों में पोलवाल्ट में रजत पदक हासिल किया है।
यूपी में चल रहे खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी कमाल दिखा रहे है। इन्हीं खिलाड़ियों की भीड़ में से एक नाम है कुलदीप कुमार का। रोचक यह है कि उनके पास अभी भी खुद का पोल नहीं है।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल यूनिवर्सिटी जौनपुर की ओर से कुलदीप ने आज पुरुष पोलवॉल्ट में 4.80 मी. की जंप के साथ रजत पदक जीता। हालांकि उन्होंने इससे भी ज्यादा का मार्क तय किया था लेकिन वो एमजी यूनिविर्सटी कोट्टम केरल के सिद्धार्थ एके से पिछड़ गए जिन्होंने 4.90 मी. की जंप के साथ केआईयूजी गेम्स का नया रिकार्ड भी बनाया।
कुलदीप कुमार इससे निराश नहीं है कि वो अपना तय मार्क नहीं कर पाए। उनका कहना है कि मैने पूरी कोशिश की लेकिन शायद आज दिन मेरा नहीं था।
कोई बात नहीं मैं अगली चैंपियनशिप में ये लक्ष्य पार करने के साथ उतरेंगा। बात अगर इस खिलाड़ी की फैमिली की करें तो आप अगर कुलदीप के गांव प्रयागराज के मऊआइमा के अलावलपुर में उससे मिलने जाएंगे तो लोग आपको कुलदीप के घर तक पहुंचा देंगे।
किसान पिता सुरेश चंद्र के कुलदीप सहित चार बेटे है और चारों एथलीट है। इसमें उनके भाई धर्मेंद्र कुमार नेशनल पोलवाल्टर है जो अभी आर्मी में है, उनके दूसरे भाई इंटरनेशनल भी पोलवाल्टर है जो इस समय खेल कोटे से रेलवे में नौकरी करते है जबकि उनके एक भाई प्रदीप कुमार ट्रिपल जंप में हिस्सा लेते है।
ऐसा नहीं है कि उनके परिवार ने आर्थिक संकट का सामना नहीं किया। उनके पिता सुरेश चंद्र खेती से होने वाली सीमित आय से घर का खर्चा चलाते है लेकिन जब उनके बच्चो ने खेल कॅरियर की शुरुआत की तो उन्होंने उनका पूरा सहयोग किया।
इसके लिए उन्हें अपने अपने खर्चे में कटौती करनी पड़ी लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की और बस इतनी चाह रखी कि उनके बेटे खेल की दुनिया में परचम लहरा सके।
कुलदीप कहते है कि मेरे भाईयों के नौकरी पर लगने से पापा की मुश्किले काफी आसान हो गयी थी। फिर मैनें भी अपने भाईयों की सफलता को देखकर ही ठान ली कि मेरे को भी पोलवाल्ट करनी है और देश का परचम लहराना है जबकि पहले वो हाई जंप के खिलाड़ी थे। कुलदीप ने जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप -2021 में हाईजंप में अंडर-16 आयु वर्ग में रजत पदक जीता था।
कुलदीप ने 2022 में अपने पहले इंटरनेशनल इवेंट यानि कुवैत में हुई यूथ एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पोलवाल्ट में कांस्य पदक जीता था। कुलदीप का यह सफलता इसलिए खास मायने रखती है कि उन्होंने यह सफलता उधार के इक्विपमेंट से हासिल की थी। दरअसल उस समय उनके पास खुद का इक्विपमेंट नहीं था। उन्होंने उस समय अपने एक सीनियर एथलीट अनुज कुमार का इक्विपमेंट उधार लिया था जो उनके साथ बेंगलुरु में ही प्रैक्टिस करते थे।
इसके साथ ही उन्होंने पोलवाल्ट में जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप-2022 में स्वर्ण पदक, खेलो इंडिया यूथ गेम्स-2023 में रजत पदक, 20वीं फेडरेशन कप एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी रजत पदक जीता था। कुलदीप यहां से वापसी के बाद और कड़ी मेहनत करेंगे ताकि आने वाले समय में वो 5मी. का मार्क क्रास कर सके। उनका लक्ष्य आने वाले समय में एशियन गेम्स और ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने का और वहां देश का परचम लहराने का है।
हालांकि कुलदीप को इसके लिए काफी रास्ता तय करना होगा क्योंकि उनका लक्ष्य बहुत बड़ा है औ वो मेहनत से पीछे हटने वाले नहीं है। वर्तमान में कुलदीप बेंगलुरु एनसीओई में रहकर पोलवाल्ट का अभ्यास करते है, जहां उन्होंने पिछले साल प्रवेश लिया था। इससे पहले कुलदीप इलाहाबाद मे किराए के कमरे में रहकर अभ्यास करते थे क्योंकि उनके गांव में एथलेटिक्स के लिए सुविधा नहीं थी।
कुलदीप ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स उत्तर प्रदेश 2022 के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि मैं पहली बार इन खेलों मे हिस्सा ले रहा हूं और यहां की सुविधाएं काफी बेहतर है और हमे यहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि इन खेलों से यूनिवर्सिटी से खेलने वाले खिलाड़ी को नई पहचान मिल रही है और ऐसे आयोजन और होने चाहिए।
बताते चले कि पोलवाल्ट में खिलाड़ी जंप के लिए जिस इक्विपमेंट का सहारा लेते है उसे पोल कहते है, जो हर खिलाड़ी के पास दो होना जरुरी है। एक उच्च क्वालिटी के पोल की कीमत एक लाख से ऊपर होती है।