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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन करने वाली महिलाओं की उपस्थिति मानदंड में छूट की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश जारी किया।
कुश कालरा ने दायर याचिका में कहा है कि मातृत्व लाभ जैसे गर्भावस्था, बच्चे के जन्म और उसकी देखभाल की वजह से महिलाएं जरुरी अटेंडेंस पूरी नहीं कर पातीं।
याचिकाकर्ता की ओर वकील चिन्मय प्रदीप कुमार ने कोर्ट से मांग की कि शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड महिला जज की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाए।
ये कमेटी शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत महिलाओं की गर्भावस्था, बच्चे के जन्म देने और बच्चे की देखभाल के अधिकारों की सुरक्षा पर अपनी अनुशंसा कोर्ट को सौंपे। याचिका में कहा गया है कि वर्तमान में ऐसा कोई कानून नहीं है जो महिलाओं के इन अधिकारों की रक्षा करता हो।
याचिका में कहा गया कि शैक्षणिक संस्थानों में महिलाएं अपनी गर्भावस्था की वजह से क्लासेज पूरा नहीं कर पातीं और इससे उनकी शिक्षा बाधित हो जाती है। याचिका में कहा गया है कि महिलाओं को बच्चों को जन्म देने और पढ़ाई दोनों में से किसी एक से समझौता करना पड़ता है जो संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है।