जुबिली न्यूज डेस्क
मृत्युदंड की सजा पर रोक लगाने को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है। कई देशों में इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। फिलहाल मृत्युदंड की सजा को लेकर अमेरिका चर्चा में है।
1953 के बाद पहली बार अमेरिका में किसी महिला कैदी को मृत्युदंड दिया गया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने हत्या की दोषी एक महिला की मौत की सजा पर रोक लगाने वाले एक आदेश को पलट दिया। इसके बाद सात दशक में पहली बार दोषी महिला को मौत की सजा हो गई।
दरअसल दोषी महिला ने जघन्य अपराध को अंजाम दिया था। जिस महिला कैदी को मौत की सजा दी गई उसका नाम लीजा मोंटगोमेरी है।
मोंटगोमेरी की सजा पर ऐन वक्त पर 8वें सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने रोक लगा दी थी, हालांकि अदालत ने इसे पलट दिया और मंगलवार को मौत की सजा हो गई।
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अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन मौत की सजा के खिलाफ हैं। ये मृत्युदंड बाइडेन के उदघाटन से पहले दिए जा रहे हैं। ट्रंप के शासन के दौरान 10 संघीय कैदियों को मृत्युदंड मिल चुका है।
अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार मोंटगोमेरी को इंडियाना के तेर्रे हाउते की जेल में स्थानीय समय रात 1:31 बजे मृत घोषित किया गया।
इससे पहले डॉक्टरों का कहना था कि मोंटगोमेरी का ब्रेन डैमेज है और वह मानसिक रूप से बीमार है। 52 वर्षीय मोंटगोमेरी को मृत्युदंड देने को लेकर कई कई संघीय अदालतों में चुनौती दी गई थी।
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शीर्ष अदालत के फैसले के बाद मोंटगोमेरी के वकील केली हेनरी ने सजा को “क्रूरतापूर्ण, गैर-कानून और सत्ता की शक्ति का अनावश्यक इस्तेमाल” बताया था।
अपने एक बयान में उन्होंने कहा था, ” लीजा मोंटगोमेरी के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कोई भी विवाद नहीं खड़ा कर सकता। पहली बार जेल के डॉक्टरों ने बीमारी का पता लगाया था और इलाज किया था।”
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दरअसल 2007 में लीजा मोंटगोमेरी में 23 वर्षीय बॉबी जो स्टिनेट की हत्या और अपहरण की दोषी पाई गई थी। उसने बॉबी जो कि आठ महीने की गर्भवती थी, उसका पेट चीर कर बच्ची का अपहरण कर लिया था।
लीजा का जघन्य अपराध
16 दिसंबर 2004 को लीजा मोंटगोमेरी ने उत्तर पश्चिमी मिसूरी के स्किडमोर में बॉबी जो स्टिनेट के घर में घुसकर रस्सी से उनका गला घोंटकर हत्या कर दी थी। गर्भवती स्टिनेट का किचन में इस्तेमाल होने वाले चाकू से पेट चीर डाला और बच्ची को लेकर वहां से फरार हो गई।
लीजा बच्ची को अपना बताने के इरादे से वह वहां से लेकर भाग गई थी। मोंटगोमेरी के वकील लंबे समय से उसको मौत की सजा का विरोध करते रहे हैं।
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मोंटगोमेरी को मौत की सजा ऐसे समय में दी गई जब दो और मामलों में कोर्ट ने कैदी के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण मौत की सजा पर रोक लगा दी।