जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। लॉकडाउन में छूट देने के पहले जो दावे परिवहन निगम ने किये थे, वो सब खोखले साबित हुए है। जब बस में सेनेटाइजर नहीं हैं तो थर्मल स्क्रीनिंग के बारे में सोचना भी गुनहा है।
आपको बता देना जरुरी है कि परिवहन निगम के एमडी राजशेखर का दावा था कि बस स्टेशनों पर और बसों के अंदर भी सभी यात्रियों को हैंड सेनिटाइज़र की सुविधा उपलब्ध रहेगी। लेकिन बस और बस अड्डों पर नज़ारे कुछ और ही कह रहे है!
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संक्रमण न फैले इसके लिए सार्वजनिक स्थानों, रोडवेज बस स्टैंड, रेलवे सहित कई जगह हैंड सेनेटाइज और थर्मल स्क्रीनिंग शुरू कराई गई, लेकिन अनॉलक वन में जैसे ही ट्रेनों और बसों का संचालन शुरू करने के साथ मार्केट ओपन हुई तो लोग अपनी सुरक्षा खुद भी भूल गए।
परिवहन निगम यात्री को सफर कराने से पहले जहां हैंड सेनेटाइजर कराने और थर्मल स्क्रीनिंग के दावे कर कर रहा था, वो खोखले साबित हुए है, वह अब सिर्फ खानापूर्ति की ही बची है। लखनऊ के आलमबाग बस स्टैंड और कैसरबाग बस स्टैंड पर हकीकत चौकाने वाली सामने आई। आइए हम दिखाते हैं रोडवेज और रेलवे की थर्मल स्क्रीनिंग की हकीकत क्या है?
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आलमबाग बस स्टैंड पर पैसेंजर्स की थर्मल स्क्रीनिंग करने के लिए टीम बैठी थी, लेकिन जो पैसेंजर्स आ रहे थे वह बिना थर्मल स्क्रीनिंग कराए ही सीधे बसों में अपनी सीट पर बैठ जा रहे थे। इस बारे में जब पैसेंजर्स से बात की गई तो पैसेंजर्स का कहना था कि उन्हें टीम ही नहीं दिखी तो कहां पर थर्मल स्क्रीनिंग कराता। वहीं टीम का कहना था कि थर्मल स्क्रीनिंग के लिए उनके पास कम ही पैसेंजर्स आ रहे हैं।
मजे की बात ये है कि ये टीम जहां बैठी है, वहां से स्क्रीनिंग मुमकिन नहीं है क्योंकि यात्री को तो बस के पीछे भागने की आदत है, तो जब बस में स्क्रीनिंग के दावे किये गए थे तो इसका पालन क्यों नहीं किया जाता।
अब बात आती है हैंड सेनिटाइज़र की तो आपको बता दे कि शायद ही कोई बस ऐसी हो जहां कंडक्टर के पास हैंड सेनिटाइज़र हो? ये हाल कमोबेश पूरे यूपी का है, परिवहन निगम को सतर्कता के लिए कड़े कदम उठाने होंगे, ताकि सुरक्षित सफर का दावा सही साबित हो।
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यात्रियों से जान ले सच
मैं हमीरपुर से लखनऊ आया हूं कही भी हैंड सेनिटाइज़र और स्क्रीनिंग नहीं हुई। खतरा तो बहुत था, हर सीट पर यात्री चिपके हुए बैठे थे, जान पर आफत जैसा महसूस कर रहा था। लेकिन क्या करुँ मज़बूरी ने आवाज लगायी तो जाना पड़ा। हालांकि कंडक्टर ने टिकट के लिए आवाज लगाई तो मैंने पूछा भी, तो कोई जवाब नहीं मिला।
अविनाश भदौरिया, यात्री
लोगों को खुद भी स्क्रीनिंग और हैंड सेनेटाइज के प्रति अवेयर होना चाहिए। क्योंकि इससे हम नहीं बल्कि हमारे अपनों को भी खतरा हो सकता है। इसीलिए कोरोना से सावधानी ही बचाव है। इसके प्रति अवेयर रहें और दूसरों को भी अवेयर करें। परिवहन विभाग के भरोसे रहे तो जान से हाथ धोना पद सकता है।
शिवम अस्थाना, यात्री
मैं दिल्ली से लखनऊ के लिए निकली और रस्ते में कई रोडवेज बस स्टैंड पर देखा भी था कि कहीं स्क्रीनिंग होते हुए दिख जाए तो करा लूं। लेकिन कही नहीं दिखी, खुद का सेनिटाइज़र था उससे ही संतोष किया। जिस दिन बस चलनी थी, उस दिन पढ़ा था स्क्रीनिंग होगी, 6 घंटे में बस सेनिटाइज़ होगी, सब बकवास निकला।
अनुप्रिया श्रीवास्तव, यात्री
ऑटो से उतरा तो बस में बैठ गया लेकिन कंडक्टर ने भी नहीं बताया कि स्क्रीनिंग कराना है। अगर कहीं स्क्रीनिंग हो रही है तो ड्राइवर या कंडक्टर को बताना चाहिए। बस में सेनिटाइजर तो दूर साफ- सफाई तो ठीक से हो नहीं रही। केवल यात्रा का पैसा वसूला जा रहा है, वो भी इतना ज्यादा है।
बृजेश रावत, यात्री
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UPSRTC के ये थे दावे
- सभी बसों का 100% सैनिटाइजेशन।
- हर 6 घंटे में एक बार बस स्टेशनों की सफाई और सैनिटाइजेशन।
- ऑटोमैटिक थर्मल सेंसर कैमरा के माध्यम से सभी यात्रियों के शरीर के तापमान को मापने के लिए मेजर बस स्टेशनों पर स्थापित किया जाएँगे।
- बस स्टेशनों पर और बसों के अंदर भी सभी यात्रियों को हैंड सेनिटाइज़र की सुविधा उपलब्ध रहेगी।
- सभी यात्रियों के लिए “नो मास्क-नो ट्रैवल पॉलिसी” लागू होगी।
- सभी ड्राइवर, कंडक्टर, बस स्टेशन के कर्मचारी अनिवार्य व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के रूप में मास्क, हैंड सेनेटाइज और दस्ताने का उपयोग करेंगे।
- प्रत्येक दिन ड्यूटी ज्वाइन करने से पहले सभी कर्मचारियों के शरीर के तापमान को मापने के लिए थर्मल गन्स का उपयोग।
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