Sunday - 27 October 2024 - 11:13 PM

मजदूरों के गांव लौटने के साथ पैतृक संपत्ति को लेकर परिवारों में बढ़े झगड़े

  • तालाबंदी की वजह से दूसरे शहरों से लाखों मजदूर लौट आए हैं अपने गांव
  • प्रवासियों के गांव लौटने के साथ बढ़ा संपत्ति विवाद
  • यूपी में 20 मई तक संपत्ति विवाद को लेकर 80,000 से अधिक शिकायतें दर्ज

न्यूज डेस्क

उत्तर प्रदेश के गांवों में अब एक नया विवाद सामने आ रहा है। तालाबंदी के कारण कामधाम बंद होने की वजह से दूसरे शहरों से लाखों प्रवासी मजदूर अपने गांव लौट आए हैं। अब इनके गांव आने के बाद परिवार में संपत्ति और खेती की जमीन को लेकर झगड़े हो रहे हैं।

तालाबंदी के बीच उत्तर प्रदेश के गांवों में भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों आए हैं। रोजी-रोटी की तलाश में महानगरों में गए ये मजदूर तालाबंदी के बीच काम धंधा बंद होने की वजह से अपने गांव लौटने को मजबूर हो गए। अब जब ये गांव आ गए हैं तो परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद छिड़ गया है। उत्तर प्रदेश में 20 मई तक संपत्ति विवाद को लेकर 80,000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं हैं।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दो पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मई महीने की एक से लेकर बीस तारीख के बीच पुलिस ने 80,000 से अधिक संपत्ति विवाद की शिकायतें दर्ज की गई, जबकि अप्रैल में 38,000 शिकायतें दर्ज की गई थी।

पुलिस के मुतातिबक यूपी में जनवरी से लेकर मार्च के बीच घर के मालिकाना हक, व्यावसायिक संपत्ति और खेती की जमीन को लेकर 49,000 शिकायतें दर्ज की गई थी। पुलिस का मानना है कि आने वाले समय में ऐसे मामले और बढ़ेंगे क्योंकि प्रवासी मजदूरों का लौटना जारी है।

नया पलायन गांवों में सीमित मात्रा में मौजूद संसाधनों पर तनाव पैदा कर रहा है। ग्राम प्रधानों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। एक ओर उन्हें आ रहे प्रवासी मजदूरों को क्वारंटीन करने की व्यवस्था देखनी है तो दूसरी ओर पारिवारिक लड़ाई भी सुलझाना पड़ रहा है। सिद्धार्थनगर की एक गांव की प्रधान पुष्पा सिंह कहती हैं, ” गांव में हर रोज संपत्ति को लेकर झगड़ा हो रहा है। ये सभी मामले एक ही समान है। ये लड़ाई उन्हीं घरों में हो रही है जहां बाहर से लौटे हैं।”

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गांवों में बढ़ी संपत्ति की लड़ाई पर समाजशास्त्री डॉ. अनुपमा सिंह कहती हैं, ये तो होना ही था। गांवों में हजारों-लाखों कामगार लौट आए हैं। अब उन्हें भी अपनी रोजी-रोटी की व्यवस्था करनी है। इसलिए अब वह अपना हक मांग रहे हैं।

वह कहती हैं, तालाबंदी के बीच प्रवासी मजदूरों ने अपने गांव पहुंचने के लिए जो पीड़ा सहा है, उस हालात तो अभी वह शहर वापस जाने की सोच भी नहीं सकते। अभी उनके घाव हरे हैं। इसलिए अब वह गांव में अपना स्थायी ठिकाना बना रहे हैं। इसके लिए उनको घर, खेत तो चाहिए ही।

कोरोना महामारी के बीच तालाबंदी ने लोगों की समस्याओं को बढ़ा दिया है। तालाबंदी की वजह से लाखों लोगों की नौकरी चली गई। शहरों में कामकाज बंद होने की वजह से ही मजदूर पलायन करने को मजबूर हुए। हजारों लोगों ने गांव वापस लौटने के लिए परिवहन सेवा का सहारा नहीं मिलने पर पैदल ही जाने का फैसला किया तो कइयों ने साइकिल और ट्रक के सहारे अपने गांव पहुंचने की कोशिश की।

मई महीने में सरकार ने मजदूरों के लौटने के लिए बस और ट्रेन सेवा चलाने का फैसला किया, जिस कारण लाखों की संख्या में प्रवासी अपने गांव और कस्बे तक पहुंच पाए। शहरों में रहने वाले प्रवासियों के पास ना तो खाने के लिए पैसे बचे थे और ना ही वे मकान का किराया देने के लिए समर्थ थे।

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