जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. पंजाब की चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार ने तय कर लिया है कि वह विधानसभा चुनाव तक सरकार के कामकाज को चर्चा का मुद्दा बनाए रखेगी. चन्नी सरकार लगातार ऐसे फैसले करती जा रही है कि विवादों का नया पिटारा खुल जाता है.
चन्नी सरकार ने एपीएस देओल को पंजाब का महाधिवक्ता नियुक्त किया था. इस नियुक्ति के बाद ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इस्तीफ़ा दे दिया था. कांग्रेस आलाकमान के बीच में पड़ने के बाद और महाधिवक्ता द्वारा मुख्यमंत्री को इस्तीफ़ा सौंप दिए जाने के बाद सिद्धू ने इस्तीफ़ा तो वापस ले लिया लेकिन कामकाज तभी शुरू करने को कहा जबकि राज्य में नये महाधिवक्ता का चयन कर लिया जाए.
महाधिवक्ता के चयन को लेकर सरकार और संगठन के बीच तलवार तनी हुई ही थी कि इसी बीच मुख्यमंत्री ने पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के दामाद तरुण वीर सिंह लेहल को राज्य का अपर महाधिवक्ता नियुक्त कर विपक्ष के सामने विरोध के लिए एक और मुद्दा फेंक दिया. विपक्ष खासकर आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को बड़ी तेज़ी से लपकते हुए राज्य सरकार पर भाई-भतीजावाद का आरोप मढ़ दिया.
चन्नी सरकार ने अपर महाधिवक्ता की नियुक्ति 31 मार्च 2022 तक के लिए की है. यह नियुक्ति कांट्रैक्ट बेस पर है और इसे वार्षिक आधार पर बढ़ाया जाएगा. इस नियुक्ति पर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला तो रंधावा ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि यह नियुक्ति महाधिवक्ता की सिफारिश पर की गई है. उनके पास 12 साल से ज्यादा का अनुभव है. यह नियुक्ति कांट्रैक्ट बेस पर की गई है, कोई स्थाई नौकरी नहीं है.
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आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने इस नियुक्ति को लेकर ट्वीट किया है. कांग्रेस हर घर नौकरी देने का अपना चुनावी वादा निभा रही है, लेकिन इसमें हल्का सा सुधार है. नौकरी पाने वाले ज़्यादातर लोग कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों के पारिवारिक सदस्य हैं. नौकरी पाने का ताज़ा मामला डिप्टी सीएम रंधावा का दामाद है. विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने इस मामले को विधानसभा में उठाने को कहा है.