सैय्यद मोहम्मद अब्बास
सेमीफाइनल में हार के बाद टी-20 विश्व कप में भारत का सफर यही पर खत्म हो गया है। रोहित शर्मा की कप्तानी वाली भारतीय टीम पूरे विश्व कप में अच्छा खेल रही थी लेकिन उसे सेमीफाइनल में इंग्लैंड ने करारी शिकस्त दी है।
अगर देखा जाये तो भारतीय इस विश्व कप में उन टीमों को हराने में कामयाब रही जो छोटे फॉर्मेट में उतने असरदार नहीं है। हालांकि पाकिस्तान पर जीत हमेशा से यादगार रहती है लेकिन दक्षिण अफ्रीका भले ही विश्व कप से बाहर हो गया हो लेकिन क्रिकेट के इस छोटे फॉर्मेट में वो सबसे खतरनाक टीम मानी जाती है। इस वजह से टीम इंडिया अगर उसको हराती तो ये एक बड़ी बात होती।
वहीं इंग्लैंड टीम के साथ भी यही था। इंग्लैंड की टीम ने बीते कुछ सालों में अपनी क्रिकेट में गजब का सुधार किया है। उसने कप्तान के साथ-साथ पूरी नई टीम इस छोटे फॉर्मेट में तैयार की थी।
जिसका असर मैदान पर दिख रहा है। वहीं भारतीय टीम की बात की जाये तो पिछले टी-20 विश्व कप में जो टीम उतरी थी लगभग इस विश्व कप में वहीं टीम मैदान पर खेलती नजर आई।
टी-20 विश्व कप में भारतीय टीम ने अपने पहले मैच में पाकिस्तान को हरा दिया था। ये जीत इसलिए खास थी क्योंकि टीम इंडिया ने पिछले विश्व कप में मिली हार का बदला ले लिया था लेकिन समझना होगा कि सिर्फ पाकिस्तान से जीत ही सबकुछ नहीं होती है। जब तक आप कप या खिताब नहीं जीतते हैै तब तक आपकी कोई भी जीत उतनी मायने नहीं रखती है।
एशिया कप हो या फिर अब टी-20 विश्व कप दोनों में हमने पाकिस्तान को धूल चटायी लेकिन खिताब जीतने से चूक गए है।
अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों हम सिर्फ बार-बार यही गलती करते रहेंगे और दूसरे लोग खिताब जीतकर चलते बनेगे। दरअसल देश में पाकिस्तान को लेकर बहुत कुछ चलता रहता है।
अगर आप सेमीफाइनल की बात करे तो सोशल मीडिया पर सिर्फ सिर्फ यही बात चल रही थी कि’हारना हो तो इंग्लैंड से हार जाना, ये ग़म सह लेंगे, लेकिन फाइनल में पाकिस्तान से नहीं’, टीम इंडिया से फैंस की अपील की थी। सोशल मीडिया यूजर्स लगातार अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे।दरअसल, सोशल मीडिया पर कई भारतीय फैंस का कहना था कि सेमीफाइनल में इंग्लैंड से हारने का उतना मलाल नहीं होगा, जितना फाइनल में पाकिस्तान से हारने का होगा।
वरिष्ठ खेत्र संपादक धर्मेंद्र पांडेय ने रखी जुबिली पोस्ट पर अपनी राय
वरिष्ठ खेत्र संपादक धर्मेंद्र पांडेय भी मानते हैं कि इंडिया में अभी माइंड सेट नहीं बदला है। उनको लगता है कि पाकिस्तान से जीत लिया है तो world कप भी जीत लिया। दरअसल यहां पर लोग अब भी लोग दिल से सोचते हैं। अगर आप देखे तो भारत और अन्य देशों में यही फर्क है।
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे देश टीम से ज्यादा गेम को लाइक करते हैं। भारत पाक मैच देखने के लिए स्टेडियम में 90 हजार दर्शक पहुंचे थे। वो वहां पर सिर्फ गेम देखने पहुंचे थे लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। धर्मेंद्र पांडेय आगे कहते हैं कि ये सच है कि भारत में लोग क्रिकेट को भगवान की तरह पूजते हैं लेकिन अब भी भारत-पाक मैच को लेकर उनकी सोच में कोई बदलाव नहीं आया है।
जितना जल्दी हो आप इस सोच से बाहर आए तो बेहतर होगा। उन्होंने बताया कि अगर विश्व कप में भारत का पहला मैच पाकिस्तान से नहीं पड़ता तो शायद हम ट्रॉफी उठा रहे होते क्योंकि जब हम पाक से जीत गए थे तो काफी रिलैक्स हो गए थे। आप पूरे टूर्नामेंट को उठा कर देखे तो हमने कोई बड़ी टीम को नहीं हराया।
इतना ही नहीं बारिश नहीं होती तो बांग्लादेश भी हमे हरा सकता था। हमटीम दक्षिण अफ्रीका से नहीं जीत पाये जबकि सेमीफाइनल में जब इंग्लैंड से मैच हुआ तो भी हम नहीं जीत नहीं पाये। धर्मेंद्र पांडेय की माने तो कल के मैच टीम इंडिया की बॉडी लैग्वेज ये बता रही थी कि आप मैच हार चुके हैं। वहीं उन्होंने बीसीसीआई को सलाह दी है कि क्रिकेट को बढ़ावा देना अच्छी बात है लेकिन नये टैलेंड के साथ जस्टिस करना भी बेहत जरूरी है।
वरिष्ठ खेत्र संपादक धर्मेंद्र पांडेय कहा कि आप उन्हीं खिलाडिय़ों को बार-बार मौका दे रहे थे जो लगातार फ्लॉप हो रहे थे। ऐसा नहीं था आपके पास विकल्प नहीं था। आपने हाथ मौका गवाया है। क्रिकेट के छोटे फॉर्मेट में आपकी एक गलती आप पर भारी पड़ सकती है। केएल राहुल जैसे क्रिकेटर लगातर फ्लॉप हुए लेकिन आपने सलामी बल्लेबाजी में कोई बदलाव नहीं किया। गेंदबाजी में यही हाल रहा। आपके पास चहल थे लेकिन उनको भी नहीं खेलाया गया। अब जब सेमीफाइनल में टीम इंडिया हार गई तब भी है हाय तौबा मची हुई है। लोग हार के बाद पूरी टीम को अपने निशाने पर ले रहे हैं और पूरी टीम बदलने की बात कह रहे हैं।