जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ : 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारिया जोरो पर है. विपक्ष ने कमर कस ली है. इसी कड़ी में बेंगलुरु में महाबैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और राहुल गांधी एक बार फिर साथ में दिखे। विपक्षी एकता के लिए हुई माटिंग में राहुल और अखिलेश काफी दिनों बाद हंसते-खिलखिलाते दिखे।
2024 लोकसभा चुनाव के लिए जब विपक्षी एकता की पहल हुई तो दोनों नेता पहले पटना, फिर बेंगलुरू में साथ आए। अखिलेश यादव मीटिंग में जाने से पहले यूपी में कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग के संकेत दे चुके हैं। पटना से लौटने के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में कभी फ्रेंडली मैच नहीं होगा। बीजेपी को हराने के लिए वह नीतीश कुमार को हर सीट पर बीजेपी वर्सेज वन का फॉर्मूला मानेंगे। हालांकि अखिलेश सर्वे के बाद सपा के लिए 50 सीटों का चुनाव कर चुके हैं।
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2019 के लोकसभा चुनाव
संभव है कि अन्य सीटों पर वह कांग्रेस और रालोद के साथ सीट शेयर करेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीएसपी के साथ गठबंधन किया था। तब अखिलेश ने खुद से एक सीट ज्यादा बसपा को दिए थे। सपा तब 37 और बसपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। चुनाव में फायदा बहुजन समाजवादी पार्टी को मिला और उसने 10 सीटें जीत लीं, जबकि सपा को 5 पारंपरिक सीटों से संतोष करना पड़ा था।
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अखिलेश व राहुल साथ आए तो किसे होगा फायदा
अब फिर 2017 विधानसभा चुनाव की बात करें। राहुल और अखिलेश यादव के गठबंधन के बावजूद सपा को 47 और कांग्रेस को 7 सीटें मिली थीं। यूपी को ये साथ पसंद है वाला नारा बुरी तरह से फ्लॉप हो गया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में छोटे दलों से गठबंधन कर अखिलेश यादव ने 125 सीटें जीत लीं। अगर विपक्षी एकता के नाम पर अखिलेश एक बार फिर यूपी में कांग्रेस के साथ सीट शेयर करते हैं तो फायदा किसे होगा? इतना तय है कि सपा के साथ से कांग्रेस को यूपी में संजीवनी मिल सकती है।