सुरेन्द्र दुबे
पांच सितंबर को प्रदेश व पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया गया। शिक्षक दिवस देश के राष्ट्रपति रहे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन की जन्म तिथि पर मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णनन इस देश में इकलौते राष्ट्रपति हैं जिनका जन्मदिन इतने मान-सम्मान से मनाया जाता है। पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन 14 नवंबर पूरे देश में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। शायद यही दो ऐसे राजनेता हैं जिनकें जन्मदिन इतनी धूमधाम से और इतनी श्रद्धा से पूरे देश में मनाए जाते हैं। हालांकि अब जब चाचा नेहरू को कांग्रेसी ही भूल गए हैं तो उनका जन्मदिन दूसरे पायदान पर पहुंच गया है और डॉ. राधाकृष्णनन का जन्मदिन शिक्षक दिवस पहले पायदान पर चल रहा है।
शिक्षक दिवस तो उत्तर प्रदेश में हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। स्कूल कॉलेजों में मिठाइयां बटती हैं और समारोह होता है। तमाम शिक्षकों को इस अवसर पर सम्मानित भी किया जाता है। सो इस बार भी अनेक शिक्षक सम्मानित हुए। पर ये सब पुरानी कहानी हो गई है। नई कहानी में भगवा रंग भर गया है और सरकार ने स्कूल-कॉलेजों को पोलिटिकल एंजेडे की नर्सरी बनाने का फैसला ले लिया है।
कल ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षकों को उपदेश दिया कि वे स्कूल कॉलेजों में तीन तलाक व अनुच्छेद 370 की समाप्ति से हुए फायदे पर परिचर्चाएं कराएं, ताकि छात्रों को पता चले कि मोदी सरकार क्या-क्या काम कर रही है। देखने में ये निर्णय बहुत ही साधारण सा लगता है, परंतु इसकी जड़ में बड़े राजनैतिक निहितार्थ छुपे हुए हैं।
यानी अब छात्रों को सत्ताधारी दल के पोलिटिकल एजेंडे को घर-घर तक पहुंचाने का काम भी करना होगा। जाहिर है जब छात्रों को कॉलेजों में तीन तलाक और अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बारे में समझाया जायेगा तो ये बात इन्ही छात्रों के माध्यम से इनके घरों तक पहुंचेगी। अब इससे सस्ता और टिकाऊ प्रचार माध्यम क्या हो सकता है। यानी छात्रों के माध्यम से दिनभर घरों में भाजपा के कामों की चर्चा होगी जिस पर पार्टी का एक भी पैसा खर्च नहीं होगा। इसी को कहते हैं- हींग लगे न फिटकरी, फिर भी रंग चोखा होय ।
शिक्षक दिवस तो वर्षों से मनाया जा रहा है और इसकी शुरुआत कांग्रेस सरकार ने की थी। परंतु कांग्रेसी बहुत कुशाग्र बुद्धि के नहीं होते हैं। इसलिए उन्हें ये समझ में ही नहीं आया कि डॉ. राधाकृष्णनन उनकी पार्टी का ढोल पीटने के भी काम आ सकते हैं। ये बात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समझ में आ गई। सो उन्होंने शिक्षक दिवस पर फरमान सुना दिया कि सभी शिक्षक कॉलेजों में तीन तलाक और अनुच्छेद 370 की समाप्ति में सरकार की उपलिब्धयों को गिनाए। यह एक बानगी भर है। योगी आदित्यनाथ ने प्रकारान्तर से सभी कॉलेजों को आदेश दे दिया है कि सरकार की उपलब्धियों का ढिढोरा पीटना भी कॉलेज के एजेंडे में होना चाहिए। ना-नुकुर की बहुत गुंजाइश नहीं है। सभी कॉलेजों को समय-समय पर सरकार की ओर निहारना पड़ता है। इसलिए ये निहारन तो उन्हें देनी ही पड़ेगी।
लोकसभा चुनाव के बाद से देश में अधिकांश विपक्ष आईसीयू में भर्ती है। जो एक-दो दल थोड़ा-बहुत स्वस्थ हैं वे भी कम से कम इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हैं और जनरल वार्ड में तो सभी का आना-जाना लगा हुआ है। पता नहीं कब सरकार किस नेता को कौन सा इंजेक्शन लगा दे, इसलिए स्वस्थ से स्वस्थ नेता भी अपने को अस्वस्थ समझ रहे हैं। ऐसी राजनीतिक परिस्थितियों में स्कूल-कॉलेजों में पोलिटिकल एजेंडा चलाए जाने की इस महत्वाकांक्षी योजना को रोक पाना फिलहाल संभव नहीं लगता। शुरुआत के लिए सरकार ने जानबूझकर तीन तलाक और अनुच्छेद 370 के टेस्टेड मुद्दे पढ़ाने का निर्णय लिया है। जिनका विरोध कर पाना भी बहुत आसान नहीं होगा।
विपक्ष किस सन्निपात की स्थिति में है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार की इतनी बड़ी रणनीति पर विपक्ष ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया भी व्यक्त नहीं की है। ये भी हो सकता है कि आईसीयू में पड़े विपक्ष का दिमाग इतना सुन्न हो गया है कि वह मुख्यमंत्री की घोषणा के राजनैतिक निहितार्थ समझ ही न पा रहा हो। योगी ने एक मास्टर स्ट्रोक खेला है। देखते हैं कि विपक्ष इस खेले में कोई खेला कर पाता है या इसे खिलवाड़ समझ कर चुप्पी साध जाता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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