Friday - 25 October 2024 - 9:29 PM

क्या पुरुष प्रजाति खत्म हो जाएगी?

प्रो. अशोक कुमार

यह एक बहुत ही रोचक और विवादास्पद प्रश्न है जिसने हाल के वर्षों में वैज्ञानिकों और आम लोगों दोनों का ध्यान खींचा है।इस सवाल का जवाब देने के लिए हमें Y क्रोमोसोम को समझना होगा। महिलाओं के शरीर में दो X (एक्स) क्रोमोसोम और पुरुष शरीर में एक X और एक Y (वाय) क्रोमोसोम होता है। महिला और पुरुष के XX क्रोमोसोम मिलते हैं तो भ्रूण लड़की बनता है और जब XY क्रोमोसोम मिलते हैं, तब लड़का पैदा होता है। यानी लड़का पैदा होने के लिए Y क्रोमोसोम का होना जरूरी है

अगर पुरुषों का Y क्रोमोसोम खत्म हो जाए, तो फिर लड़के पैदा ही नहीं होंगे सिर्फ लड़कियां पैदा होंगी और फिर इंसान ही नहीं बचेंगे। एक नई रिसर्च में कुछ ऐसा ही खतरा जताया गया है, जो कहती है कि Y क्रोमोसोम कम होते जा रहे हैं।

साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्च कहती है कि इंसान का Y गुणसूत्र घट रहा है और भविष्य पूरी तरह गायब हो सकता है। हालांकि इसके खत्म होने में लाखों वर्ष लगेंगे।

अगर इंसान Y के विकल्प के तौर पर एक नया जीन विकसित नहीं कर पाता है और Y क्रोमोसोम का पतन जारी रहता है तो धरती से जीवन ही खत्म हो सकता है।

एक नए जीन के विकसित होने की उम्मीद प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में 2022 में पब्लिश एक रिसर्च पेपर से जगी है। इसमें बताया गया है कि कैसे कांटेदार चूहे ने एक नया पुरुष-निर्धारण जीन विकसित किया है। ये एक वैकल्पिक संभावना का इशारा करती है, जो कहती है कि मनुष्य एक नया लिंग निर्धारण जीन विकसित कर सकता है।

हालांकि ये बहुत सीधा नहीं है और इसके विकास में कई जोखिम भी साथ आएंगे। यानी इसे अभी विकल्प मान लेना जल्दीबाजी होगी। Y क्रोमोसोम मानव लिंग का निर्धारण कैसे करता है?

महिला और पुरुषों में एक एक्स और एक वाई क्रोमोसोम होता है। एक्स में लगभग 900 जीन होते हैं, वहीं वाय में कुछ करीब 55 जीन और बहुत सारे गैर-कोडिंग डीएनए होते हैं।

वाय क्रोमोसोम एक पंच पैक करता है क्योंकि इसमें एक महत्वपूर्ण जीन होता है जो भ्रूण में पुरुष विकास को शुरू करता है। गर्भधारण के 12 सप्ताह बाद यह मास्टर जीन दूसरे जीनों पर स्विच करता है। ये भ्रूण का पुरुष हार्मोन बनाता है जो यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे का विकास एक लड़के के रूप में हो।

रिसर्च कहती है कि दोनों क्रोमोसोम में असमानता बढ़ रही है। बीते 166 मिलियन वर्षों में वाय क्रोमोसोम ने 900-55 सक्रिय जीन खो दिए हैं। यह प्रति दस लाख वर्ष में पांच जीनों का नुकसान है। इस दर से आखिरी 55 जीन 11 मिलियन वर्षों में खत्म हो जायेंगे। वाय क्रोमोसोम के कम होने ने वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है।

Y गुणसूत्र क्यों छोटा हो रहा है?

सभी जीवों में जैविक विकास होता रहता है। इसी प्रक्रिया के दौरान Y गुणसूत्र में कुछ बदलाव होते हैं। अन्य गुणसूत्रों के मुकाबले Y गुणसूत्र में जीन पुनर्संयोजन की दर कम होती है। इसका मतलब है कि इसमें उत्परिवर्तन और मरम्मत की प्रक्रियाएं धीमी होती हैं। प्राकृतिक चयन के कारण भी Y गुणसूत्र में कुछ बदलाव होते हैं।

हालांकि Y क्रोमोसोम के सिकुड़ने की बात चिंता का विषय है, वैज्ञानिकों का मानना है कि मानव पुरुषों के विकास में Y गुणसूत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन यह गुणसूत्र धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है . इसके कारण पुरुषों में बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है इस कारण पुरुषों की आयु कम हो सकती है ! यह अक्सर कहा जाता है कि पुरुष प्रजाति खत्म हो सकती है।

क्या पुरुष प्रजाति खत्म होगी?

हालांकि, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि पुरुष प्रजाति पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि Y क्रोमोसोम के सिकुड़ने की प्रक्रिया लाखों सालों से चल रही है और अभी भी यह क्रोमोसोम अपने महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम दे रहा है।

कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि Y क्रोमोसोम पूरी तरह से गायब होने के बजाय, यह एक नए रूप में विकसित हो सकता है।

क्या हैं इस बात के संकेत? अन्य जीवों में: कुछ जीवों में Y क्रोमोसोम पहले ही गायब हो चुका है, लेकिन ये प्रजातियां अभी भी मौजूद हैं। Y क्रोमोसोम न केवल पुरुष लक्षणों के लिए, बल्कि कई अन्य जैविक प्रक्रियाओं के लिए भी ज़िम्मेदार होता है। मानव शरीर एक जटिल प्रणाली है और विकास एक धीमी और लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। यह कहना मुश्किल है कि भविष्य में क्या होगा। जीव विकास एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और इसमें प्रजातियां बदलती रहती हैं।

निष्कर्ष

. लेकिन, यह प्रक्रिया इतनी धीमी है कि इसका असर आने वाले कुछ लाख वर्षों में ही दिखाई देगा . लेकिन यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि पुरुष प्रजाति पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

(पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय)

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