प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. कृषि विश्वविद्यालय कानपुर में फैली वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का मुद्दा पूर्व विधायक संजय कुमार मिश्र ने उठाया है. पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की तरफ ध्यान आकर्षित किया है.
पूर्व विधायक संजय मिश्र ने लिखा है कि 28 जुलाई 2020 को उत्तर प्रदेश के कृषि शिक्षा विभाग ने कृषि विश्वविद्यालय कानपुर को लिखे पत्र में नवसृजित के.वी.के. कासगंज के 16 पद और पूर्व के के.वी.के. में रिक्त दर्शाए गए 52 पदों को भरने की अनुमति दी गई है. जबकि हकीकत यह है कि के.वी.के. कासगंज में तो 16 पद रिक्त हैं लेकिन पुराने के.वी.के. में दर्शाए गए 52 रिक्त नहीं हैं. यह भ्रामक आंकड़ा है. के.वी.के. में नियुक्त कर्मचारियों को विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कर उसे रिक्त दर्शा दिया गया है. यह पूरी तरह से गलत है और इन नियुक्तियों को रोका जाना चाहिए.
उन्होंने कहा है कि विश्वविद्यालय के प्लान के पदों और नान प्लान के पदों तथा के.वी.के. के पदों का नियुक्ति रजिस्टर मंगाकर शासन स्तर पर उसका परीक्षण करा लिया जाए तो स्थिति अपने आप स्पष्ट हो जायेगी.
पूर्व विधायक संजय कुमार मिश्र ने बताया है कि कानपुर कृषि विश्वविद्यालय में आरक्षण के रोस्टर में काफी गड़बड़ियां की गई हैं. इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई है.
यूपी सरकार से की गई शिकायत में कहा गया है कि वर्ष 2014 में कृषि विश्वविद्यालय कानपुर रोस्टर का पालन करते हुए कई नियुक्तियां की गई थीं लेकिन मौजूदा कुलपति भर्ती के उद्देश्य से नया आरक्षण रोस्टर बनवा रहे हैं. सरकार को वर्ष 2014 के आरक्षण रोस्टर और वर्ष 2020 के आरक्षण रजिस्टर मंगाकर उसका कार्मिक या समाज कल्याण विभाग से उसका परीक्षण कराया जाए. इस परीक्षण से यह स्पष्ट हो जाएगा कि कृषि विश्वविद्यालय में आरक्षण रोस्टर का पालन हो रहा है या नहीं.
कृषि विश्वविद्यालयों को राज्यपाल ने आरक्षण रोस्टर के सम्बन्ध में विस्तृत दिशा निर्देश दिए थे लेकिन कृषि विश्वविद्यालयों में राज्यपाल के निर्देशों का पालन भी नहीं हो रहा है.
उन्होंने कहा है कि कृषि विश्वविद्यालय कानपुर में समय-समय पर भ्रामक सूचनाएँ देकर कई वित्तीय अनियमितताएं की जाती रही हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने 31 अगस्त 2017 को यह अधिसूचना जारी की थी कि समस्त चयन केवल लिखित परीक्षा के आधार पर किया जाए, ताकि निष्पक्ष और योग्य अभ्यर्थियों का चयन हो सके. इसके लिए सभी रिक्तियां उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग या उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से कराई जाएँ तो ऐसा करने पर भ्रष्टाचार की संभावना शून्य हो जायेगी.
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इससे पूर्व पहली सितम्बर को कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर में चल रही अनियमितताओं का संज्ञान लेते हुए अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय में सम्बद्ध किये गए कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्मिकों की सम्बद्धता को समाप्त किये जाने का आदेश दिया था.
सरकार के आदेश पर कुलपति ने क्या फैसला लिया है यह जानने के लिए जुबिली पोस्ट ने अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी से सम्पर्क किया लेकिन वह दो दिन के अवकाश पर हैं. इस वजह से जानकारी नहीं मिल पाई.