जुबिली न्यूज डेस्क
बीजिंग. चीन ने रविवार को अपना रक्षा बजट 7.2 प्रतिशत बढ़ाकर 1,550 अरब युआन कर दिया है. इस साल रक्षा खर्च बढ़कर 1,550 अरब युआन हो गया है. युआन के मुकाबले डॉलर की मजबूती को देखते हुए इस साल चीन का रक्षा खर्च करीब 225 अरब डॉलर हो गया है जो पिछले साल के 230 अरब डॉलर के मुकाबले कम है. यह लगातार आठवां साल है कि जब चीन ने अपने सैन्य बजट में इकाई अंक प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की है.
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में पेश की गई अपनी कार्य रिपोर्ट में निवर्तमान प्रधानमंत्री ली केकियांग ने सीमाओं पर सशस्त्र बलों की उपलब्धियों की तारीफ की. हालांकि उन्होंने पूर्वी लद्दाख गतिरोध का सीधा जिक्र नहीं किया. इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उन्होंने दृढ़ एवं लचीले तरीके से भी अभियान चलाये. उन्होंने सीमा रक्षा, समुद्री अधिकार सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी, स्थायित्व प्रबंधन, आपदा बचाव एवं राहत, कोविड-19 कार्रवाई, शांति मिशन, मालवाहक जहाज को सुरक्षा से जुड़े बड़े अभियान प्रभावी तरीके से चलाये.’
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‘सीमा रक्षा से संबंधित बड़े अभियान’ का जिक्र भारत के साथ जुड़ी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एएलसी) पर मई, 2020 में पूर्वी लद्दाख में पीएलए द्वारा की गई आक्रामक कार्रवाई के संदर्भ में अहम समझा जा रहा है. इस कार्रवाई के फलस्वरूप भारत के साथ टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई. दोनों पक्षों ने टकराव के समाधान के लिए 17 दौर की बातचीत की है तथा शीघ्र ही 18वें दौर की वार्ता होने की संभावना है.
दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है चीन
अपने रक्षा बजट पर सबसे अधिक खर्च करने वाले देशों में अमेरिका के बाद चीन दूसरे नंबर पर आता है. अमेरिका ने 2023 के लिए 816 अरब अमेरिकी डॉलर का रक्षा बजट पेश किया है. भारत के लिहाज से चीन का रक्षा बजट तीन गुना अधिक है. भारत ने 2023-24 के लिए 72.6 अरब अमेरिकी डॉलर का बजट पेश किया है. बढ़ते रक्षा बजट और 20 लाख सैनिकों वाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी दुनिया की सबसे बड़ी सेना है और वह अपनी सेना, नौसेना तथा वायु सेना के आधुनिकीकरण पर सबसे अधिक खर्च करने के साथ तेजी से शक्तिशाली बनती जा रही है.
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