जुबिली स्पेशल डेस्क
मुंबई। लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार को तगड़ा झटका लगा था, जब एनसीपी के उनके हाथ से पहले ही निकल गई थी। इतना ही नहीं इसके बाद महाराष्ट्र में एनसीपी विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला आ गया।
ये फैसला भी शरद पवार के खिलाफ गया है और स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि अजित गुट को 41 विधायकों का समर्थन है। आयोग ने अजित के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ भी आवंटित कर दिया था।
अजित पवार के पास शरद पवार से ज्यादा विधायकों का समर्थन है इसलिए अजित पवार ही असली एनसीपी है माना जायेगा। ऐसे में शरद पवार के सामने अब दोबारा से अपने पैरों पर खड़े होने की चुनौती है लेकिन अब खबर आ रही हैं कि वह कांग्रेस में विलय कर सकते हैं। इसके अलावा उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं।
इसके साथ ही वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी इंतेजार कर सकते हैं। उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और इसकी सुनवाई आज होने की बात कही जा रही है।
2 जुलाई 2023 को एनसीपी में विभाजन हो गया था। अजित पवार अपने खेमे के विधायकों के साथ एनडीए में शामिल हो गए और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बनाए गए।
इसके बाद पार्टी पर कब्जा करने की जंग चली और करीब छह महीने से ज्यादा का वक्त तक ये सुनवाई चली और दस से ज्यादा सुनवाई के बाद चुनाव आयोग का फैसला आया है और इस फैसला से शरद पवार को बड़ा झटका लगा है। अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट के पक्ष में फैसला सुनाया। पार्टी का सिंबल घड़ी अजित पवार के पास रहेगा।