- कोरोना महामारी के बीच महाराष्ट्र में सियासी हलचल बढ़ी
- उद्धव ठाकरे के आधिकारिक निवास पर चल चल रही है बैठक
- राहुल गांधी के बयान पर विपक्ष ने उठाया सवाल
न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र के सियासत की जो तस्वीर दिखाई दे रही है उससे तो साफ है कि वहा सब कुछ ठीक नहीं है। भले ही शिवसेना सांसद संजय राउत ट्वीट पर ट्वीट कर सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे हो, लेकिन जिस तरह से पिछले तीन सेमहाराष्ट्र में सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है उससे उनके दावे में दम नहीं दिख रहा है। मुख्यमंत्री के आवास से लेकर राजभवन तक सरगर्मी है। ताबड़तोड़ बैठकें और सियासी दिग्गजों की हालिया मुलाकात से हर किसी के जेहन में यही सवाल उठ रहा है कि क्या ठाकरे की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है? क्या एक बार फिर एनसीपी प्रमुख शरद पवार सबको चौकायेंगे?
महाराष्ट्र में शिवसेना तमाम जद्दोजहद के बाद सरकार बनाने में तो सफल हो गई, पर जद्दोजहद आज भी बना हुआ है। जब से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उद्धव ठाकरे बैठे हैं, शायद ही कोई महीना होगा जिसमें उनकी कुर्सी पर खतरा न बताया गया हो। इसका कारण है कि विपरीत विचारधारा वाली तीनों पार्टियां अक्सर किसी न किसी मुद्दें पर एक दूसरे के आमने-सामने आ जाती है जिससे गठबंधन टूटने की खबरों को बल मिलने लगता है।
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कोरोना महामारी से जूझ रहे महाराष्ट्र में तीन दिन से सियासी हलचल है। सोमवार को एनसीपी प्रमुख पवार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की करीब डेढ़ घंटे मुलाकात हुई थी। मंगलवार को शरद पवार ने राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात किए थे। मंगलवार को ही उद्धव ठाकरे और राहुल गांधी के बीच फोन पर बात हुई। राहुल ने उद्धव से बात की और आश्वस्त किया है कि कोरोना के संकटकाल में सरकार के साथ हैं, लेकिन महाराष्ट्र के सियासी हलचल पर राहुल ने पल्ला झाड़ लिया था, जिसकी वजह से कई अटकलें लगने लगी थीं। राहुल ने कहा था कि महाराष्ट्र में कांग्रेस निर्णायक भूमिका में नहीं है।
इस सियासी हलचल में सबसे ज्यादा कोई सक्रिय है तो वह है एनसीपी प्रमुख शरद पवार। मातोश्री से लेकर राजभवन तक उनकी सक्रियता देखकर ही कयास लगाया जा रहा है कि कहीं वह फिर चौकाने की तैयारी में तो नहीं है। वह लगतार सवालों का जवाब दे रहे हैं।
महाअघाड़ी सहयोगियों की मीटिंग
और आज एक बार फिर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आधिकारिक निवास ‘वर्षा’ में महाअघाड़ी सहयोगियों की मीटिंग हो रही है। इस मीटिंग पर हर किसी की नजर टिकी हुई है।
उद्धव ठाकरे मातोश्री से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस बैठक को संबोधित कर रहे हैं। बाकी मंत्री सीएम निवास स्थान वर्षा से वीसी के जरिये जुड़े हैं। शिवसेना की माने तो 31 मई को लॉकडाउन खत्म हो रहा है और यह मीटिंग इसी को लेकर हो रही है।
सत्ता पक्ष के मुताबिक यह मीटिंग कोरोना संकट को लेकर हो रहा है। महाराष्ट्र में कोरोना प्रभावित हर इलाके की परिस्थिति, स्कूलों को शुरू करने पर चर्चा हो रही है। लेकिन सूत्रों की मानें तो मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति पर भी चर्चा हो रही है। बैठक में कांग्रेस के बाला साहेब थोरात और असलम शेख भी मौजूद हैं।
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सामना ने भी दावा किया कि उद्धव सरकार स्थिर
महाराष्ट्र में उद्धव सरकार को खतरे का कयास इसलिए लगाया जा रहा है क्योंकि शिवसेना से लेकर एनसीपी बार-बार सरकार के स्थिर होने का दावा कर रही है। मंगलवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्विटर पर और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक बयान में सरकार के स्थिर होने का दावा किया और बुधवार को शिवसेना के मुखपत्र सामना में दावा किया गया उद्धव सरकार स्थिर है और उद्धव की कुर्सी पर कोई खतरा नहीं है।
सामना ने अपने संपादकीय में सवाल उठाते हुए लिखा है कि राजभवन में पिछले कुछ दिनों से लोगों का आना जाना लगा है ऐसे में राज्यपाल का क्या दोष? शरद पवार के मातोश्री जाने पर इतना हंगामा क्यों? वह पहली बार तो वहां नहीं गए और सरकार में कोई भी अस्थिरता नहीं। अगर कोरोना का संकट ना होता तो 6 महीने सरकार चलाने का जश्न मनाया जा रहा होता।
आक्रामक मोड में है विपक्ष
महाराष्ट्र में बीजेपी आक्रामक मोड में है। विपक्ष हर दिन किसी न किसी मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं। राहुल गांधी के कल वाले बयान पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें घेर लिया।
राहुल ने कहा था कि महाराष्ट्र में कांग्रेस निर्णायक भूमिका में नहीं है, क्योंकि वहां निर्णय लेने का अधिकार उनकी पार्टी के पास नहीं है। फडणवीस ने कहा, ‘मुझे लगता है कि राहुल गांधी अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं। महाराष्ट्र में कोरोना से हालात खराब होते देखकर वह इसका ठीकरा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर फोड़ रहे हैं।’ उन्होंने ई-प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह वक्त टीका-टिप्पणी का नहीं, बल्कि कोरोना से मुकाबला करने का है।
पवार ने विपक्ष पर सरकार गिराने का लगाया आरोप
विपक्ष की सक्रियता और आक्रामकता पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि बीजेपी और देवेद्र फड़णवीस इस वक्त सरकार को गिराने की कोशिश में लगे हुए हैं। फड़णवीस अपना धैर्य खो रहे हैं, लेकिन महाअघाड़ी सरकार को अभी कोई खतरा नहीं है। सभी विधायक हमारे साथ हैं। इस समय विधायकों को तोडऩे की कोशिश हुई तो पब्लिक पिटाई भी करेगी।
वहीं महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर और कांग्रेस नेता नाना पटोले ने राज्य में किसी भी राजनीतिक उठापटक की संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र में राजनीतिक स्थिति को लेकर इस समय मीडिया में जो भी बातें हो रही हैं, वैसा कुछ भी नहीं है। इस समय हम केवल कोरोना वायरस से लडऩे की दिशा में ही काम कर रहे हैं। हम भारत सरकार के सभी गाइडलाइन्स को फॉलो कर रहे हैं।’