जुबिली स्पेशल डेस्क
खेलों में रिकॉर्ड बनते हैं टूटते है। कई बार नया प्रतिमान स्थापित किया जाता है तो कई बार नया इतिहास बनाया जाता है लेकिन कुछ इतिहास दोहराये जाते हैं।
इंडियन पॉलिटिक्स में भी कुछ इसी तरह का नजारा देखने को मिल रहा है। कांग्रेस पार्टी की बात की जाये तो वरिष्ठï कांग्रेसी नेता राहुल गांधी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई।
ये ठीक वैसा ही है जैसे आज से कुछ साल पहले उनकी दादी इंदिरा गांधी के साथ भी यही हुआ था। बात काफी पुरानी है आजाद भारत में कांग्रेस का कद उस वक्त काफी बढ़ चुका था लेकिन विपक्ष उनको कमजोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था।
इसका नतीजा ये हुआ कि साल 1978 और तारीख थी 18 नवंबर को भारतीय राजनीति में घमासान मचा हुआ था और तब उस वक्त के पीएम मोरारजी देसाई ने कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव जीतकर आई कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश कर दिया।
इस प्रस्ताव पर सात दिन जमकर बहस हुई और इसका नतीजा ये हुआ कि इंदिरा गांधी को संसद से बेदखल कर दिया गया और संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। इस पूरे फैसले के बाद इंदिरा बाहर निकलीं तो कांग्रेसियों में जोश देखते ही बनता था और नारे लगा रहे थे- एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंगलूर-चिकमंगलूर।आज इतिहास फिर उसी राह पर खड़ा है। इस बार भी गांधी परिवार का एक सदस्य अपनी संसद सदस्यता खो चुका है। वो शख्स है इंदिरा गांधी के पोते राहुल गांधी लेकिन अब ये बड़ा सवाल है क्या राहुल गांधी इंदिरा गांधी की तरह कांग्रेस को दमदार वापसी करायेंगे?
थोड़ा फ्लैश बैक जाना होगा कि आखिरकार कैसे इंदिरा ने एकाएक पलट दी पूरी बाजी। दरअसल 1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर उपचुनाव जीतकर इंदिरा गांधी लोकसभा पहुंचीं लेकिन वहां पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और उसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने उनके खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया, जोकि बाद में पास हो गया।
इसका नतीजा ये हुआ कि उनकी सदस्यता को भी रद्द कर दिया गया। बात यही पर खत्म नहीं हुई इसके बाद जीप घोटाले में उनका नाम आया। आरोप लगाया गया कि इंदिरा गांधी ने 100 जीपें खरीदवाईं और उसका पेमेंट कांग्रेस ने नहीं, बल्कि उद्योग जगत के लोगों ने किया। इतना ही नहीं उनकी गिरफ्तारी तक हुई।
हालांकि ये गिरफ्तारी सहानुभूति का काम कर गईं। इसके बाद जनता पार्टी कमजोर होने लगी और मध्यावधि चुनाव हुआ कांग्रेस ने जोरदार जीत हासिल की और इंदिरा गांधी पीएम बनी। अब वहीं स्थिति राहुल गांधी के साथ भी है। मौजूदा वक्त में भी हालात इसी तरह के बन रहे हैं।
मोदी लगातार दूसरी बार पीएम बने हैं और तीसरी बार पीएम बनने का सपना उनकी पार्टी बीजेपी ने पाल रखा लेकिन उनको रोकने के लिए सबसे आगे इस वक्त राहुल गांधी है।
जो सीधे तौर पर सरकार को चुनौती दे रहे हैं। राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस और भी मजबूत हो सकती है जैसे इंदिरा गांधी ने 1980 में कांग्रेस ने 529 में 363 सीटों पर बड़ी जीत दर्ज करायी थीं। चौधरी चरण सिंह की पार्टी को 41 और जनता पार्टी को 31 सीटों पर सिमट गई थी।