जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है। हाल के दिनों में कई बड़े चेहरों ने कांग्रेस पार्टी से किनारा कर लिया है और सत्ता का सुख हासिल करने के लिए बीजेपी में शामिल हो गए लेकिन इसके कांग्रेस पार्टी ने हार नहीं मानी है।
राहुल गांधी लगातार कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने जमीनी स्तर पर कांग्रेस को जोडऩे का काम किया है। पार्टी के अंदर चल रही खींचातान के बावजूद राहुल गांधी का पूरा फोकस 2024 पर लगा हुआ है।
उन्होंने हाल में भारत जोड़ो यात्रा के सहारे कांग्रेस में फिर से नई जान जरूर फूंक दी है। दूसरी ओर सोनिया गांधी ने कांग्रेस को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन अब वो राजनीति से संन्यास लेने की बात कह रही है।
सोनिया गांधी ने उस वक्त कांग्रेस को संभाला जब कांग्रेस पूरी तरह से कमजोर हो गई थी। राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस पार्टी में उनके कद का नेता मिलना काफी मुश्किल हो रहा था लेकिन सोनिया गांधी आगे आकर कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया और इसका फायदा पार्टी को मिला भी।
अब जब वो ये कह रही है कि अगला लोकसभा चुनाव न लड़े तो ऐसे में बड़ा सवाल है कि रायबरेली में कौन उनका उत्तराधिकारी होगा। सोनिया गांधी ने रायबरेली में लगातार पांच लोकसभा चुनाव यहां से लड़ा है और जीत का परचम लहराया है।
इतना ही नहीं 2014 और 2019 में मोदी लहर के बावजूद वो यहां से चुनाव जीतने में कामयाब रही। ऐसे में कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी अगर अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ती है तो कांग्रेस प्रियंका गांधी को यहां से चुनावी मैदान में उतार सकती है।
अगर ऐसा होता है कि कांग्रेस को वहां पर बढ़त मिलना तय है। दरअसल सोनिया गांधी की गिरती सेहत आगे उनको चुनाव लडऩे से रोक रही है। इतना ही नहीं सोनिया गांधी अब चुनाव प्रचार में न के बराबर नजर आती है।
उनकी जगह प्रियंका गांधी लगातार आगे नजर आ रही है। अब अटकलें लगायी जा रही है कि सोनिया गांधी की विरासत को अब प्रियंका गांधी संभालती हुई नजर आयेंगी।