न्यूज डेस्क
नागरिकता संसोधन बिल पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपनी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने जेडीयू के समर्थन पर दुख और आश्चर्य जाहिर किया था। फिलहाल प्रशांत के बयान से जेडीयू आलाकमान नाराज है और ऐसी चर्चा है कि उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
प्रशांत किशोर ने नागरिकता संशोधन बिल पर 9 दिसंबर को ट्विटर पर बयान दिया था। प्रशांत ने ट्वीट कर कहा था “धर्म के आधार पर नागरिकता के अधिकार में भेदभाव करने वाले नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने वाले वीडियो को देखकर निराशा हुई है। ट्वीट में प्रशांत ने लिखा था कि यह पार्टी संविधान के खिलाफ है, जिसमें पहले पन्ने पर ही 3 बार धर्मनिरपेक्ष शब्द का जिक्र है और पार्टी गांधीवादी सिद्धांतों के आधार पर चलाए जाने की घोषणा है”।
फिलहाल प्रशांत के बयान से जेडीयू नाराज है। सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर का बयान अनावश्यक है। पार्टी में उनके बयान को लेकर नाराजगी है। असहमति के स्वर पार्टी के भीतर उपयुक्त मंच पर जाहिर किए जाने चाहिए। सार्वजनिक टिप्पणी पार्टी के लिए शर्मिंदगी का विषय बनी हुई है।
जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर की राजनीतिक गतिविधियां और व्यवसायिक गतिविधियां पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं। आगे का रास्ता जेडीयू को नहीं प्रशांत किशोर को तय करना है। इशारा साफ है कि प्रशांत किशोर के जेडीयू से बाहर जाने का रास्ता खुला हुआ है।
प्रशांत किशोर के सुर पार्टी के खिलाफ यहीं नहीं रुके। 11 दिसंबर को जब राज्यसभा में जेडीयू नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन कर रहा था उस वक्त भी उन्होंने ट्वीट कर कहा था, “हमें बताया गया है कि नागरिकता देने के लिए के लिए है ना की नागरिकता लेने के लिए, किसी की नागरिकता लेनी भी नहीं है लेकिन सच्चाई यह है कि एनआरसी के साथ यह धर्म के साथ लोगों के व्यवस्थित रूप से भेदभाव और यहां तक कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार के हाथों में घातक हथियार में बदल सकता है”।
प्रशांत के इन बयानों को लेकर पार्टी का नेतृत्व खासा नाराज है। जाहिर तौर पर प्रशांत किशोर और पार्टी आलाकमान के विचारों में यह मतभेद प्रशांत किशोर को जेडीयू से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। हालांकि सूत्रों का यह कहना है कि प्रशांत किशोर पर पार्टी अपनी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं करेगी। अगर वो खुद अपना रास्ता चुनना चाहे तो वे स्वतंत्र हैं।
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