जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। ऐसे तो बिहार में अगले साल चुनाव होना है लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से कमर कस ली है। नीतीश कुमार फिर से सत्ता में लौटना का सपना देख रहे हैं तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव को भरोसा है कि जनता का प्यार उनको विधानसभा चुनाव में मिलने जा रहा है।
दूसरी तरफ बीजेपी भले ही नीतीश कुमार के साथ हो लेकिन बिहार में वो अपना सीएम चाहती है। इस वजह से दोनों का दोस्ताना कितने दिन चलेगा ये किसी को पता नहीं है।
वहीं प्रशांत किशोर भी इन दिनों काफी मेहनत कर रहे हैं और जन स्वराज पार्टी को लॉन्च कर रहे हैं। इतना ही नहीं हाल के दिनों में वो अपनी पार्टी को मजबूत कर सत्ता तक पहुंचने का दावा भी कर रहे हैं लेकिन बड़ा सवाल है क्या प्रशांत किशोर केजरीवाल की तरह सफल हो पायेंगे।
प्रशांत किशोर गांधी जयंती यानी दो अक्टूबर को पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में अपनी पार्टी की लॉन्चिंग करने की तैयारी में है।
बिहार की जनता को प्रशांत किशोर पिछले दो सालों से उसी तरह से वैकल्पिक राजनीति का सपना दिखाने में आगे नजर आये। उनका सपना है कि जिस तरह से दिल्ली की सियासत में अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन करके कांग्रेस और बीजेपी का विकल्प बनी है, ठीक उसी तरह उनकी पार्टी बिहार में लालू और नीतीश का विकल्प बने।
इसके लिए साफ सुथरी छवि के लोगों को अपनी पार्टी में शामिल कर रहे हैं। जन सुराज को और मजबूत करने के लिए वो अपनी रणनीति पर काम कर रहे है। आम लोगों को अपनी पार्टी से जुड़ने के लिए वो जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं।
बिहार में आरजेडी और जेडीयू का अपना एक अलग वोट बैंक और जातीय आधार है। पीके बिहार के दोनों बड़े दलों के वोट बैंक पर अपनी नज़र बना ली है। इसके आलावा जाति के इर्द-गिर्द सिमटी बिहार की राजनीती में सभी समाज को साथ लेकर चलने का दावा करते हैं। इसके लिए जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी देने का भी ऐलान कर रहे हैं।