जुबिली न्यूज डेस्क
हाथरस मामले में कांग्रेस ने जिस तरह स्टैंड लिया उसकी हर ओर तारीफ हो रही है। कांग्रेस ने हाथरस मामले को देखते हुए एक और नजीर पेश किया है।
जी हां, कांग्रेस हाईकमान ने हाथरस घटना के बाद बिहार में महिलाओं के खिलाफ आपराधिक केस वाले किसी उम्मीदवार को टिकट न देने का फैसला किया है।
कांग्रेस के इस फैसले की चारों ओर तारीफ हो रही है। जानकारों का कहना है कि यदि कांग्रेस अपने इस फैसले पर अन्य चुनावों में आडिग रहती है तो इससे अन्य पार्टियों पर भी दबाव बनेगा। राजनीतिक दलों को महिलाओं के खिलाफ आपराधिक केस वाले नेताओं से दूरी बनानी पड़ेगी।
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हालांकि कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले की वजह बिहार में अब तक कांग्रेस पहले चरण के उम्मीदवारों की घोषणा भी नहीं कर पाई है, जबकि जदयू, भाजपा अपनी पहली लिस्ट जारी कर चुकी है।
बताया जा रहा है कि पार्टी हाईकमान के इस फैसले की वजह से पहली लिस्ट आने में अभी समय लग सकता है।
सूत्रों के अनुसार इस देरी की एक वजह यह है कि पार्टी की ओर से टिकट पाने में सबसे आगे ब्रजेश पांडे का नाम है, जिन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध और दुष्कर्म के आरोप तक लग चुके हैं। इसे लेकर कांग्रेस के नेताओं ने ही मुखरता से पांडे का विरोध किया था।
बताया गया है कि हरनौत, सुल्तानगंज, हिसुआ और टेकरी विधानसभा सीटों से उम्मीदवारों का ऐलान भी इसी कारण से रोका गया है।
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पिछले कुछ सालों में राजनीति की शुचिता में बहुत गिरावट आई है। राजनीतिक दलों को न तो बाहुबलियों से परहेज है और ही महिलाओं के खिलाफ आपराधिक केस वाले नेताओं से। चुनाव जीतने के लिए वह किसी को भी गले लगा लेती है।
कांग्रेस के फैसले पर वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दुबे कहते हैं कि यदि बिहार में कांग्रेस साफ-सुथरी छवि वाले प्रत्याशियों को ही टिकट देने का सोच रही है तो यह राजनीति के बदलाव का संकेत है। इससे आने वाले समय में अन्य राजनीतिक दलों पर दबाव बनेगा यह कदम उठाने के लिए।
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