जुबिली स्पेशल डेस्क
उत्तर प्रदेश में 2022 में विधान सभा चुनाव होना है। योगी सरकार दोबारा सत्ता में आने के लिए पूरा जोर लगा रही है। इस वजह से जनता को खुश करने के लिए सरकारी योजनाओं की एकाएक बाढ़ भी आ गई है।
हालांकि बीजेपी मोदी के चेहरे में वोट मांगती रही है लेकिन यूपी में योगी की धमक भी कम नहीं है। आलम तो यह है योगी लगातार सीएम के तौर पर कामयाबी की नई कहानी लिख रहे हैं। ट्वीटर पर भी योगी को भी अलग पहचान बनती दिख रही है।
दूसरी ओर पूरा विपक्ष बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का दावा जरूर कर रहा है। कांग्रेस यूपी में भले ही खत्म हो गई हो लेकिन प्रियंका गांधी की उपस्थिति से देश की सबसे पुरानी पार्टी एक बार फिर यूपी में नई गाथा लिखने की कोशिशों में है।
वहीं समाजवादी पार्टी भले ही कमजोर हुई हो लेकिन युवा अखिलेश यादव को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता है। हालांकि यह बात सच है कि मुलायम की खराब सेहत की वजह से सपा को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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मुलायम अब राजनीति में उतने सक्रिय नहीं रहते हैं। अभी हाल में नये साल के मौके पर अचानक से पार्टी कार्यालय पहुंचकर सपा में नई जान फूंकने की कोशिश जरूर की है लेकिन अब भी बड़ा सवाल है कि क्या अखिलेश यादव अपने बल पर सत्ता हासिल कर सकते हैं या फिर उनको अन्य दलों की जरूरत पड़ेगी।
यहां एक बात सोचने की है कि अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव जब से उनसे अलग हुए है तब से सपा कोई खास करिश्मा नहीं कर सकी है। जानकार बताते हैं कि सपा के पास यादव जाति के अलावा दूसरी पिछड़ी जाति के किसी प्रभावशाली नेता का नहीं होने की वजह से पार्टी अब कमजोर नजर आ रही है।
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अखिलेश और शिवपाल की राह अलग होने से वोट भी बंटता हुआ नजर आया। ये चुनाव में देखने को मिल चुका है। मुलायम ने नये साल पर सपा की सरकार बनाने के लिए अपने कार्यकर्ताओं से खास अपील की थी लेकिन ये संभव तभी हो सकता है जब अखिलेश यादव और शिवपाल यादव एक साथ फिर नजर आये।
हालांकि हाल के दिनों में दोनों के बयानों से यह अटकले लगायी जा रही है कि यह कहना जल्दीबाजी होगा कि दोनों फिर एक साथ आयेंगे।ये वही अखिलेश यादव हैं जो इसी वर्ष सैफई में होली त्योहार के दौरान चाचा-भतीजे के नारे लगने से नाराज हो गए थे और कभी सैफई में होली न मनाने की बात कही थी।
दीवाली के मौके पर चाचा-भतीजे के बीच की खाई पटती नजर आई। अखिलेश ने घोषणा की, सपा की सरकार बनेगी तो प्रसपा नेता को कैबिनेट मंत्री भी बना देंगे. गठबंधन में प्रसपा को भी एडजेस्ट करेंगे।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव कहते हैं, भतीजे पर चाचा का आशीर्वाद हमेशा रहता है. यूपी के विधानसभा चुनाव में अगर हमें सम्मानजनक सीटें मिलीं तो हम समाजवादी पार्टी से गठबंधन करेंगे।
अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या अखिलेश और शिवपाल को मुलायम एक बार फिर एक कर पायेगे या नहीं। इसके आलावा 2012 में जो वोट बैंक उनके हाथ से निकल गया है वो दोबारा फिर कैसे आता है। ‘बाइस में बाइसिकल’ का नारा तभी सच होगा जब अखिलेश यादव-शिवपाल के साथ मिलकर पूरी ताकत के साथ चुनावी दंगल में उतरे।