जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार के कद्दावर नेता व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से बिहार विधानसभा चुनाव की तस्वीर बदल गई है। जानकारों का कहना है कि उनके निधन से बिहार में उपजने वाली सहानूभूति वोटों के गणित को प्रभावित करेगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या लोजपा के प्रति कड़े तेवर रखने वाली जेडीयू और बीजेपी अपने रवैया बदलेगी या पहले जैसी ही रखेगी।
शुक्रवार को दिल्ली में लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद से बिहार के विधानसभा चुनाव की तस्वीर बिल्कुल बदल गई है।
इस बदलते तस्वीर में जहां बीजेपी राहत में तो वहीं जेडीयू परेशान दिख रही है। जदयू का परेशान होना लाजिमी है। पासवान के निधन से पहले तक लोजपा पर जदयू लगातार दबाव बनाए हुए थी। जदयू नेता लगातार चिराग पासवान पर हमला कर रहे थे।
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बिहार की राजनीति पर लंबे समय तक निगाह रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुशील वर्मा कहते हैं, जो दल और नेता लोजपा के खिलाफ मुखर थे अब उनकी भाषा भी बदलेगी और विरोध के तेवर भी। समय की नजाकत को समझते हुए बीजेपी भी चुनाव प्रचार अभियान की टोन भी बदलेगी।
दरअसल एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर लोजपा और जदयू का विवाद इतना बढ़ा कि लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपनी मनमाफिक सीटें न मिलने के चलते गठबंधन से अलग होकर चुनाव लडऩे का ऐलान किया था। उस समय रामविलास पासवान जीवित थे और उनके विरोधी मुखर थे, लेकिन अब उनके निधन के बाद हालात बदले हैं।
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वरिष्ठ पत्रकार सुरेेंद्र दुबे कहते हैं इतिहास गवाह है कि बड़े नेताओं के निधन के बाद से चुनाव की तस्वीर बदल गई है। पासवान बिहार के दलितों के नेता थे। जाहिर है अब वह नहीं है तो उनके प्रति मतदाताओं में सहानुभूति है और अक्सर सहानुभूति वोटों में तब्दील होती है।
वह कहते हैं, इस बात का एहसास बीजेपी, जदयू के साथ-साथ विरोधी दलों को भी होगा। इसलिए चुनाव प्रचार में जदयू लोजपा और पासवान के प्रति आक्रामक रूख अख्तियार नहीं करेगी। वहीं बीजेपी तो वैसे भी लोजपा का विरोध नहीं करेगी। लोजपा जितना ज्यादा सीट जीतेगी बीजेपी को उतना फायदा होगा।
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बीजेपी को यह एहसास है सीलिए उसने अपने सहयोगी दल जदयू को भी संदेश दिया है कि वह लोजपा और पासवान को लेकर चुनाव मैदान में संयम बरतें और ऐसा संदेश न जाए कि राजग लोजपा के खिलाफ बोलकर उसके दिवंगत नेता को अपमानित करने की कोशिश कर रहा है।